लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह गन्ना भुगतान बड़ा मुद्दा बना और ‘जीना’ की जगह ‘गन्ना’ ही जीता था । आगे आनेवाले 2019 लोकसभा चुनाव में भी गन्ना महत्वपूर्ण मुद्दा होनेवाला है, करोडो का बकाया भुगतान के चलते किसान नाराज है और वो लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रहे है, जिसमे ‘कैराना’ की पुनरावृत्ति होने का अनुमान राजकीय जानकार अभी से लगा रहे है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर गन्ना किसानों को लेकर सरकार क्या कदम उठाती है, इसपर किसान और विपक्षी दलों की नजरे टिकी हुई है ।
गन्ने के करोड़ो रूपये के भुगतान पर किसानों के सवाल पर पीएम-सीएम से लेकर गन्ना राज्यमंत्री तक सभी असहज है। भले ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चीनी उद्योग को राहत पैकेज दिया हो, लेकिन फिर भी गन्ने को लेकर किसानों के गुस्से को सरकार अभी शांत नहीं कर पाई है। आगामी पेराई सत्र 18-19 बड़ी मुसीबत लेकर आने वाला है। मौजूदा सत्र में गन्ने के क्षेत्र में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। गन्ना उत्पादन भी बंपर हुआ है। देर तक मिल चलाकर पिछले सत्र में तो किसी तरह सरकार ने किसानों का गुस्सा शांत किया था। इस बार सरकार क्या करेगी? यह बड़ा सवाल है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान फिर गन्ना भुगतान व पेराई का बड़ा मुद्दा बनने की उम्मीद है। मिशन-2019 के नतीजों को गन्ना सीधे प्रभावित करना तय है ।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी गन्ना किसानों का गुस्सा समझ गए थे। इसी कारण उन्होंने किसानों से गन्ने के विकल्पों पर विचार करने का आग्रह किया था। अब लोकसभा चुनावों के दौरान फिर गन्ना सताएगा, और इससे निपटने के लिए योगी सरकार को और एक राहत पैकेज लेकर बड़ा दांव खेलना पड़ सकता है । गन्ना सत्र 17-18 में रिकार्ड गन्ना पैदा हुआ। किसान नाराज न हो इसलिए सरकार ने मिलों पर दबाव बनाकर लगभग एक माह अतिरिक्त पेराई कराई । इस बार हालात यह है की, गन्ना सत्र 2018-2019 में गन्ना उत्पादन में दस फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इस सत्र में कैसे निश्चित समय में पेराई व भुगतान होगा? यह बड़ा सवाल हैं। लोकसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में संभावित है। ठीक उसी समय गन्ना भुगतान व पर्चियों का बवाल उठेगा, ऐसे में गन्ना फिर चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा।