लखनऊ: प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों में चीनी के भण्डारण की समस्या को हल करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश की सहकारी चीनी मिल समितियों द्वारा चीनी मिलों को की जाने वाली गन्ना आपूर्ति पर प्राप्त होने वाले गन्ना विकास अंशदान के उपयोग के संबंध में शासनादेश निर्गत किया गया है। निर्गत शासनादेश के अनुसार चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति से प्राप्त होने वाले अंशदान का 40 प्रतिशत प्रबंधकीय व्यय में तथा शेष 60 प्रतिशत धनराशि का उपयोग गन्ना विकास के कार्यों, कृषकों को उत्तम गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, दवाइयाँ तथा कृषि यंत्र आदि उपलब्ध कराने कराने के साथ-साथ चीनी भण्डारण की समस्या के दृष्टिगत चीनी गोदाम निर्माण हेतु भी किया जायेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि इस धनराशि से सर्वप्रथम गन्ना विकास के कार्य तथा इसके उपरान्त चीनी भण्डार हेतु गोदामों का निर्माण किया जायेगा। सहकारी चीनी मिलों द्वारा गोदाम का किराया चीनी मिल समिति को प्रचलित बाजार दर पर दिया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में 05 सहकारी चीनी मिलों में चीनी गोदाम निर्माण प्रस्तावित हैं।
चार सहकारी चीनी मिलों. गजरौला (अमरोहा) बेलरॉयॉ (लखीमपुर खीरी), तिलहर (शाहजहूँपुर) तथा ननौता (सहारनपुर) में एक-एक लाख कुन्तल क्षमता के तथा कायमगंज (फर्रुखाबाद) में 50,000 कुन्तल क्षमता के गोदाम का निर्माण प्रस्तावित है।
गन्ना आयुक्त ने बताया कि इस व्यवस्था से चीनी मिलें एवं सहकारी गन्ना समितियाँ, दोनों ही पारस्परिक रूप से लाभान्वित होंगी। जहाँ एक ओर चीनी मिलों में भण्डारण से सम्बन्धित व्यय यथा परिवहन एवं मार्ग बीमा व्यय आदि की बचत होगी, वहीं दूसरी ओर सहकारी चीनी मिल समितियों को इन गोदामों से किराये के रूप में नियमित आय का स्रोत सृजित होगा।
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