पुणे: चीनीमंडी
भूतपूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने चीनी उद्योग के सामने आ रही कठिनाइयां गिनते हुए चिंता जताई। उन्होंने कहा की, चीनी की प्रति क्विंटल लागत और चीनी की बिक्री कीमत इसका सही तालमेल बिठाना दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा है। पेराई सीझन के साथ साथ बाजार प्रतिस्पर्धा के कारण चीनी मिलों के हालात खस्ता हुई है।
उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में चीनी की अतिरिक्त आपूर्ति और मांग कम है। सरकार द्वारा अतिरिक्त चीनी से निर्माण हुए परिस्थीती से निपटने के लिए चीनी कोटा निर्धारित किया गया है, ‘एमएसपी’ भी निश्चित की है, हालांकि, फिर भी ‘एमएसपी’ पर चीनी बेचना भी मुश्किल हो गया है। चीनी उद्योग को इस मुश्किल दौर से बहार निकालने के लिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा और तो और चीनी मिलों को हर मुमकिन कोशिश करनी होगी।
चीनी उद्योग में प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पादन लागत पर विचार करने की जरूरत है, पवार ने कहा, 1 क्विंटल चीनी निर्माण करने के लिए कितना खर्च आता है? सभी राज्य में क्या स्थिती है, यह देखना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा की, मैंने जब इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, तो मुझे अलग- अलग कन्वर्जन दर मिलें। चीनी लागत खर्चा इतना बढ़ गया है की, किसानों का भुगतान करना अब मिलों के बस की बात नही रही। उन्होंने स्पष्ट कर दिया की, मिलें अगर अपनी उत्पादन लगत घटा दे तो कुछ हदतक उन्हें राहत मिल सकती है।
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