नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने बताया कि, इस विधेयक को संसद के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा। लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अनुमति देने वाला विधेयक सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। सितंबर में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्ताव की सराहना करते हुए कहा था, मंत्रिमंडल ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, मैं इस प्रयास की अगुआई करने और विभिन्न हितधारकों से परामर्श करने के लिए हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी की सराहना करता हूं। यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उच्चस्तरीय पैनल ने पहले चरण के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की, उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं।
कोविंद ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर आम सहमति बनाने का आह्वान किया
बुधवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि, केंद्र को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए। कोविंद ने कहा, केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी होगी। यह मुद्दा किसी पार्टी के हित में नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में है। यह (एक राष्ट्र, एक चुनाव) गेम-चेंजर होगा – यह मेरी राय नहीं बल्कि अर्थशास्त्रियों की राय है, जो मानते हैं कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी 1-1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बुधवार को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने का समर्थन किया और तर्क दिया कि बार-बार चुनाव होने से समय और सार्वजनिक धन की काफी बर्बादी होती है।