दुनिया भारत को उभरते बायोमैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देख रही है: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया भारत को एक उभरते जैव-विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और उद्योग के साथ संस्थागत जुड़ाव आने वाले वर्षों में भारत की जैव अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में जैव प्रौद्योगिकी पर तीसरे ग्लोबल बायो-इंडिया, मेगा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी बायोइकोनॉमी ने पिछले 9-10 वर्षों में साल-दर-साल डबल डिजिट की विकास दर दर्ज की है।

उन्होंने कहा, “2014 में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था लगभग 10 अरब डॉलर थी, इस वित्तीय वर्ष में हमें 150 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है और हम 2030 तक 300 अरब डॉलर होने की उम्मीद करते हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत ने पिछले 8-9 वर्षों में तेजी से प्रगति की है। 2014 में हमारे पास सिर्फ 55 (बायोटेक) स्टार्टअप थे, अब हमारे पास इनकी संख्या 6,000 से अधिक हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आज 3,000 से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप हैं और अरोमा मिशन और पर्पल रिवोल्यूशन जैसे क्षेत्रों में बहुत सफल हैं।

उन्होंने कहा, “लगभग 4,000 लोग लैवेंडर की खेती से जुड़े हुए हैं और लाखों रुपये कमा रहे हैं।”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, जैव प्रौद्योगिकी आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को “भविष्य में मूल्यवर्धन” प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा, “भारत के पास जैव संसाधनों की एक विशाल संपदा है जो एक ऐसा संसाधन है जिसका दोहन नहीं हुआ है। विशेष रूप से विशाल जैव विविधता और हिमालय में अद्वितीय जैव संसाधनों के कारण जैव प्रौद्योगिकी के लिए यह एक बड़ा लाभ है। इसके अलावा 7,500 किलोमीटर लंबी कोस्टलाइन भी है और डीप सी मिशन के तहत हम समुद्र के नीचे जैव विविधता की खुदाई करने जा रहे हैं। ”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी युवाओं के बीच एक ट्रेंडिंग करियर विकल्प के रूप में उभरी है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में 12वीं कक्षा के छात्रों के हालिया सर्वेक्षण में यह पाया गया कि बायोटेक्नोलॉजी को पसंदीदा स्ट्रीम के रूप में नंबर 4-5 पर स्थान दिया गया है, जबकि पहले इसे करियर विकल्प के रूप में कहीं भी जगह नहीं मिलती थी।“

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पीएम नरेन्द्र मोदी ने उद्यमिता और एक संपन्न उद्योग के लिए माहौल तैयार किया है।“

उन्होंने कहा, “हमारे पास सब कुछ था, लेकिन हम संभवतः एक सक्षम वातावरण के तैयार होने की प्रतीक्षा कर रहे थे और यह सक्षम माहौल प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद तैयार हुआ है।”

जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान नेतृत्व करने के लिए पीएम मोदी की सराहना करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (जीबीए) के लॉन्च से जैव ईंधन की उन्नति और व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।”

उन्होंने कहा, “जैव प्रौद्योगिकी अमृत काल अर्थव्यवस्था और भारत को दुनिया में अग्रणी राष्ट्र बनाने की कुंजी होगी।”

यह कहते हुए कि संदेह के लिए अब कोई जगह नहीं है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा,” प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नौ वर्षों के दौरान नीति नियोजन परिवर्तनों ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच आपसी विश्वास पैदा किया है।“

सरकार, शिक्षा जगत, स्टार्टअप और उद्योग के बीच व्यापक तालमेल का आह्वान करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “संपूर्ण विज्ञान और संपूर्ण सरकार से एक संपूर्ण राष्ट्र तैयार होता है।“

वैश्विक जैव-भारत प्रदर्शनी और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद; विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, डॉ. अभय करंदीकर; जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले; और सुश्री किरण मजूमदार-शॉ बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक और सीएमडी ने भी संबोधित किया।

(Source: PIB)

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