मुंबई: चीनी मंडी
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन लिमिटेड और शुगर मिल्स एंड इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने न्यूनतम चीनी मूल्य 29 रुपये से 36 रुपये प्रति किलोग्राम तक करने की मांग की है।। अगर सरकार द्वारा इस मांग को पूरा किया जाता है तो दिवाली के दौरान चीनी की कीमत 45 रुपये से 50 रुपये प्रति किलो हो सकती है।
चीनी उद्योग अधिशेष चीनी को लेकर चिंतित
हालांकि, केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 50 लाख टन चीनी के निर्यात की इजाजत दी है, लेकिन फिर भी चीनी उद्योग अधिशेष चीनी को लेकर चिंतित है। अकेले महाराष्ट्र 110 लाख टन चीनी का उत्पादन करेगा। 2016-17 में उत्पादित गन्ना और चीनी 203 लाख टन थी, जबकि इस वर्ष 2017-18 में 320 लाख टन तक पहुंच गया है।
190 लाख टन से अधिक चीनी अधिशेष
शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने दावा किया की, अच्छे मॉनसून के कारण, इस साल चीनी उत्पादन में 117 लाख टन की वृद्धि हुई है। साल 2018-19 में भारत का कुल चीनी उत्पादन ब्राजील की तुलना में अधिक होकर 355 लाख टन तक पहुंच सकता है और यह घरेलू चीनी में एक विश्व रिकॉर्ड होगा। देश में पहले से ही 100 लाख टन का चीनी स्टॉक है , जबकि राज्य में चीनी की घरेलू खपत 265 लाख टन है। अगर हम 355 लाख टन चीनी उत्पादन होता हैं, तो फिर भी घरेलू खपत के बाद भी 190 लाख टन से अधिक चीनी अधिशेष होगा।
चीनी निर्यात पर चीनी मिलों को प्रति किलोग्राम 11 – 12 रूपये घाटा
चीनी मिल घरेलू बाजार के लिए सफेद चीनी का उत्पादन करती है, जबकि निर्यात के लिए कच्ची चीनी। ‘इस्मा’ के अनुसार, चीनी निर्यात पर चीनी मिलों को प्रति किलोग्राम 11 – 12 रूपये घाटा उठाना पड़ता है । दूसरी ओर सरकार की तरफ से गन्ना क्रशिंग सब्सिडी 5.50 रुपये प्रति क्विंटल मिलती है, लेकिन किसानों को एफआरपी का भुगतान करने के 7.7 रुपये प्रति क्विंटल चुकाने पड़ते है, इससे मिलों को प्रति किलो 3.50 – 4.50 रुपये की हानि होती है।
चीनी न्यूनतम बिक्री बढ़ाने की ‘इस्मा’ की मांग…
‘इस्मा’ ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्रधान सचिव को एक पत्र लिखकर वित्तीय सहायता बढ़ाने और चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 प्रति किलोग्राम से 36 रुपये प्रति किलो तक वृद्धि करने की मांग की है। ‘इस्मा’ ने दावा किया है की , वर्ष 2016-17 जब चीनी की एक्स गेट कीमत 36-37 रुपये प्रति किलोग्राम थी, उस दौरान भी चीनी का खुदरा मूल्य 44 रुपये प्रति किलो को पार नहीं गया था । उपभोक्ताओं ने किसी भी तकरार के बिना 44 रुपये प्रति किलो स्वीकार कर लिया था।
कच्ची चीनी उत्पादन अनिवार्य करना होगा…
चीनी मिलों के फेडरेशन ने भी,पेराई सत्र की शुरुआत के पहले दो महीनों के लिए कच्ची चीनी का उत्पादन अनिवार्य करने की मांग की है । विभिन्न बंदरगाहों से सफेद और कच्ची चीनी के परिवहन के लिए 2500 रुपये की सब्सिडी और गन्ना पेराई के लिए 100 रुपये टन प्रति लाभ उठाने की अपील भी की है।