कोल्हापुर: प्रतिनिधि
भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा एनसीपी के अध्यक्ष खा. शरद पवार ने शनिवार को संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा की, चीनी उद्योग में जब पहले कोई समस्याएं आती थी, तब कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार उन समस्याओं को तुरन्त हल करते थे, लेकिन आज ऐसी स्थिति नहीं है।
पवार ने कहा, चीनी उद्योग में गन्ने की कीमत अदा करने में ‘वन टाईम पेमेंट’ यह शब्द नहीं था। कोल्हापुकर के लोगों ने गन्ने की कीमत चुकाने के लिए ‘वन टाईम पेमेंट’ यह शब्द लाया है, पहले तो गन्ना कटाई के कुछ दिनों के बाद पहली किश्त, चीनी की बिक्री होने के बाद दूसरी किश्त और दिवाली में अंतिम बिल ऐसी विधि थी।
खा. पवार ने कहा कि, महाराष्ट्र में गन्ना फसल किसानों के लिए एक प्रमुख उपज कारक है। लेकिन, इस व्यवसाय को हाल ही में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कम मांग के कारण पिछले सीजन के बाद से चीनी मिलों की गोदाम में चीनी का अम्बार लगा है, व्यापारियों को इससे फायदा हो रहा है।
किसानों को चीनी को तैयार करने के लिए गन्ना को बिट विकल्प दिया जाना चाहिए। इससे पहले, हमने सूखे प्रभावित इलाकों में फलों की खेती की योजना शुरू कर दी थी। ऐसा लगता है कि, यह योजना आज सफल रही है। बड़ी संख्या में महाराष्ट्र में केले, अंगूर, अनार और संतरे का उत्पादन बढ़ गया है। सोलापुर जिला फल उत्पादन के लिए अग्रदूत बन गया है। बैठक में एमएलए हसन मुश्रीफ, एनसीपी के जिला अध्यक्ष ए. वाई. पाटिल, शहर के अध्यक्ष आर. के. पोवार, वी. बी. पाटिल उपस्थित थे।