डीजल में एथेनॉल मिश्रण अनिवार्य बनाने की कोई योजना नहीं: मंत्री हरदीप सिंह पुरी

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि, डीजल में एथेनॉल मिश्रण का काम अभी प्रायोगिक स्तर पर है और फिलहाल इसे अनिवार्य बनाने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि शुरुआती परीक्षणों में ईंधन टैंकों में जमाव और अन्य निहितार्थ पाए गए हैं। राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्या केंद्र डीजल में एथेनॉल मिलाने को अनिवार्य बनाने की योजना बना रहा है, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, डीजल में इथेनॉल मिलाने का मुद्दा अभी प्रायोगिक स्तर पर है और फिलहाल इसे अनिवार्य बनाने की कोई योजना नहीं है।

इस बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि, इसका कारण यह है कि तेल विपणन कंपनियों ने ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और चुनिंदा मूल उपकरण निर्माताओं के साथ मिलकर डीजल में 7 प्रतिशत तक एथेनॉल मिलाने का परीक्षण किया है। पुरी ने बताया, शुरुआती परीक्षणों से पता चला है कि 5 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण से फ्लैशपॉइंट 15 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाएगा और हमें सामग्री अनुकूलता की आवश्यकता है। ईंधन टैंक में जमाव का निर्माण होगा और इसके बाद कई अन्य निहितार्थ होंगे। मंत्री ने यह भी बताया कि, पेट्रोल के साथ एथेनॉल का मिश्रण अब 20 प्रतिशत तक के स्तर पर पहुंच गया है। मंत्री पुरी ने कहा, हमने 2014 में पेट्रोल में 1.4 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के साथ शुरुआत की थी। आज, हम 15 प्रतिशत के आंकड़े पर पहुंच गए हैं। हम 400 करोड़ लीटर एथेनॉल मिश्रण कर रहे हैं। अब, अगर हमें डीजल को कम करना है, तो हम एथेनॉल मिश्रण वर्ष 2025 के अंत तक इसे 1,000 करोड़ लीटर तक ले जाने की योजना बना रहे हैं।

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