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पुणे : चीनी मंडी
घरेलू और अंतराष्ट्रीय बाज़ार में चीनी की मांग बहुत ही कम है। चीनी की अत्यधिक कीमतों से बचने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी मिलों की चीनी बिक्री पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। चीनी मिलें सरकार द्वारा स्वीकृत चीनी कोटे के अनुसार चीनी बेच रहे हैं। उसी वजह से चीनी मिलों के गोदामों में चीनी का अधिशेष ‘स्टॉक’ हैं। नगर और नासिक जिले में चीनी का 11 लाख 58 हजार टन चीनी मिलों में पड़ी हुई है। इसमें अब इस सीझन का चीनी उत्पादन जोड़ा जाएगा। चीनी मिलों के गोदामों में चीनी रखने के लिए अब जगह ही नही बची है।
पिछले साल, नगर जिले में निजी और सहकारी मिलों ने 15 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। पिछले सीजन की चीनी बिक्री और शेष 4,30,000 टन चीनी अक्टूबर में बनी रही। बीते साल में 25 प्रतिशत चीनी का उत्पादन हुआ बाद में नवंबर में पेराई सत्र शुरू हुआ। चीनी का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। इस सीजन में अब तक 11 लाख 84 हजार टन चीनी पड़ी है। पिछले सीजन में अब तक 4 लाख 56 हजार टन चीनी बेची जा चुकी है और 11.58 मिलियन टन चीनी बेकार पड़ी है।
अंबालिका की निजी फैक्ट्री, जो चीनी उत्पादक कंपनियों में से एक है, में सबसे ज्यादा लाख टन चीनी है। यदि 95 हजार टन गन्ना है, तो संगमनेर मिल में 88 हजार टन चीनी है। उत्पादित चीनी का ७० प्रतिशत चीनी जैसे के तैसे है। गन्ना पेराई सत्र अप्रैल तक चल सकता है। इसलिए, आगे जाकर चीनी स्टॉक प्रभावित होंगे। सरकार ने चीनी मिलों को हर महीने चीनी बेचने का कोटा तय किया है ताकि चीनी की कीमतों में गिरावट न हो। इसलिए, चीनी मिलों के गोदाम भरे पड़े हैं।
कौनसी चीनी मिल में कितना स्टॉक चीनी (टन में)…
अम्बालिका : 1 लाख 51 हजार, ज्ञानेश्वर : ९८८३०, मूला : ९ ५ हजार ९९२, संगमनेर : 88 हजार 555, प्रवरा: 86 हजार 148, कुकडी : 66 हजार 361, शिगोंदा : 57 हजार 807, अगस्ति : ४१,१४०, गंगामाई : 34 हजार 885
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