नई दिल्ली: देश में चीनी उत्पादन के अनुकूल अनुमानों के बीच, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने केंद्र सरकार से चीनी निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि, चीनी उत्पादन में वृद्धि से घरेलू कीमतों में गिरावट आ सकती है, जिससे चीनी बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस संदर्भ में उन्होंने उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर 20 लाख टन चीनी के निर्यात की वकालत की है।
खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखे अपने पत्र में चौधरी ने ISMA के प्रारंभिक अनुमानों का हवाला दिया, जिसमें 2024-25 सत्र के लिए लगभग 333 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। 1 अक्टूबर, 2024 तक 90 लाख टन के शुरुआती स्टॉक को शामिल करते हुए, कुल चीनी उपलब्धता लगभग 423 लाख टन होने की उम्मीद है। घरेलू आवश्यकताओं के 290 लाख टन होने के अनुमान के साथ, लगभग 133 लाख टन अधिशेष होगा, जो 55 लाख टन के मानक चीनी स्टॉक से काफी अधिक है।
मंत्री चौधरी ने बताया कि, अतिरिक्त चीनी उपलब्धता से घरेलू चीनी की कीमतों में गिरावट आ सकती है, जिसका बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, अधिशेष इन्वेंट्री चीनी मिलों पर अतिरिक्त वहन लागत लगा सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, यही सही समय है चीनी निर्यात की अनुमति देने का। इस समय चीनी निर्यात की अनुमति देने से उद्योग को वित्तीय बफर मिलेगा, जिससे परिचालन लागत में सहायता मिलेगी और किसानों को बकाया गन्ना भुगतान का निपटान होगा। चौधरी ने यह भी कहा कि, चीनी निर्यात से देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करने और घरेलू बाजार को स्थिर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सरकार से चालू सीजन में कम से कम 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार करने का आग्रह किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह निर्यात मात्रा घरेलू बाजार की जरूरतों में बाधा नहीं बनेगी।
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