वन नेशन-वन राशन कार्ड: देश में कहीं से भी अपने कार्ड से चीनी खरीद सकेंगे पात्र लाभार्थी

नई दिल्ली, 9 अगस्त: एक देश एक विधान और एक संविधान की अवधारणा को मजबूती देता देश प्रगति पथ पर अग्रसर है। जीएसटी लागू होने से जहां एक देश और एक कराधान प्रणाली मजबूत हुई वहीं जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A के हटने से सम्पूर्ण देश में एक झंडा – एक संविधान के क़ानून को मान्यता मिली। इसी क्रम में अब आने आने वाले दिनों में देश में सभी के लिए एक ही राशन कार्ड बनेगा जो पूरे देश में मान्य होगा। इसके लागू होने से राशन की चीनी लेने वाले कार्डधारी देश के किसी भी कोने से अपने कोटे की चीनी और अन्य राशन सामग्री ले सकेंगे।

केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने शु्क्रवार को अपने मंत्रालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने देश में एकरूपता लाने के लिए वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है।

मंत्री ने कहा कि अगले साल यानी एक जून 2020 तक ये योजना पूरे देश में लागू हो जाएगी। योजना को अमलीजामा पहनाने पर काम किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि देश में कई गरीब लोग अपनी रोजी रोटी के लिए विभिन्न राज्यों में गमन करते रहते है उनको इससे सहुलियत होगी और वो जिस जगह पर है वहीं से राशन की चीनी और अन्य सामग्री ले सकेंगे।

पासवान ने कहा कि हमने राशनकार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी तेलंगाना-आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र-गुजरात के बीच शरु भी कर दी है। इन राज्यो के राशनकार्डधारी आपस में कहीं से भी राशन की चीनी खरीद सकेंगे। इस प्रणाली के लागू होने से पीडीएस में होने वाला भृष्टाचार रुकेगा औऱ पात्र लाभार्थियों को ही उनका राशन मिलेगा।

रामविलास पासवान ने कहा कि ”आज एक ऐतिहासिक दिन है. हमने राशन कार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी से दो राज्यों को जोड़कर काम शुरु किया है। इन राज्यों में राशन कार्ड की राज्य के अंदर और अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी दोनों को सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है।” जनवरी 2020 तक, इन 11 राज्यों को एक ग्रिड के रूप में बनाया जाएगा जहां राशन कार्ड पोर्टेबल होगा।

केन्द्र सरकार के इस राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी प्लान पर बात करने पर बिहार के मजदूर रमणीलाल ने कहा कि हम दिल्ली में मजदूरी करते है लेकिन राशन की चीनी हम ले नहीं पाते है और मजबूरन हमे मंहंगी दर पर बाजार से राशन खरीदना पडता है। गावं में हम रहते नहीं है तो वहाँ दबंग लोग हमारे हिस्से की राशन चीनी उठा लेते है और मंहगी दर पर दूसरों को बेच देते है। अगर सरकार ये योजना लागू कर देती है तो हमें रोजमर्रा में काम आने वाली चीनी और राशन सामग्री बाजार भाव से खरीदनी नहीं पड़ेगी। कोटे की दुकान से राशन लेंगे तो हमारे पैसे भी बचेंगें।

दिल्ली में काम करने वाले अन्य श्रमिक गोवर्धन ने कहा कि मै अपने परिवार का पेट पालने के लिए यहां झुग्गी बस्ती में रह रहा हूं लेकिन राशनकार्ड बिहार का है इसलिए लाभार्थी होकर भी राशन की दुकान से सामान नहीं ले सकता। लेकिन पूरे देश में अगर एक ही राशन कार्ड बनेंगे तो हम भी दिल्ली में रहकर राशन की चीनी खरीद सकेंगे।

गौरतलब है कि सरकार एक जून, 2020 तक देश भर में ‘एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड’ को लागू करने का लक्ष्य बना रही है। अगर यह प्रणाली लागू हो जाएगी तो न केवल गरीबों को राशन और चीनी लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी बल्कि राशन कार्ड के जरिए उनको एक राष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी।

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