चेन्नई: तमिलनाडु का विल्लुपुरम गन्ने की खेती के लिए प्रसिद्ध है लेकिन निजी चीनी मिलों द्वारा करोड़ों रुपये का बकाया न चुकाये जाने के विरोध में यहां के किसानों ने गन्ना उगाने से इंकार कर दिया। जिससे चीनी मिलों की परेशानी बढ़ना तय है।
बता दें कि बीती जनवरी से चीनी मिलों ने किसानों को करोड़ों रुपये की एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) का भुगतान नहीं किया है। साल की शुरुआत में किसानों ने 80 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य (एफआरपी) का गन्ना इन निजी मिलों को बेचा था, जिसका भुगतान नहीं किया गया। किसानों ने इसके विरोध में उग्र प्रदर्शन किये तथा अधिकारियों से बात की। किसानों का दावा है की मार्च में, तत्कालीन जिला कलेक्टर एल सुब्रमण्यन द्वारा एक बैठक के दौरान, कुछ निजी चीनी मिलों ने जून में किसानों को उनके एफआरपी का भुगतान करने का वादा किया था। लेकिन दिसंबर तक राशि वितरित नहीं की गई। पूरे साल अपने पैसे के लिए संघर्ष करने के बाद किसानों को मात्र 10 करोड़ रुपये ही मिल पाए।
किसानों ने बताया कि पूरे एक साल से हमारे गन्ना आपूर्ति के भुगतान बकाया हैं, इसलिए हमने इस बार गन्ने की फसल नहीं उगाई है। हमारे खेतों में अब धान, उड़द, लोबिया, कसावा की फसलें लहलहा रही हैं। इन फसलों की आमदनी से कई किसान अपने कर्जे उतारने की योजना बना रहे हैं।
उधर, एक निजी चीनी मिल के सूत्रों ने कहा कि मिल को दो साल से नुकसान हो रहा है, जिसके कारण इस साल एफआरपी का भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने माना कि मिल प्रबंधन समिति का रवैया साफ़ नहीं हैं तथा किसानों के गन्ना नहीं उगाये जाने से अगले सीजन में मिल के उत्पादन पर असर पड़ेगा।
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