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‘इस्मा’ने केंद्र सरकार से ‘एक्स-मिल’ की कीमत 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने को कहा है।
नई दिल्ली:चीनी मंडी
चीनी उद्योग के प्रतिनिधि खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों से गुरुवार को मुलाकात करेंगे, ताकि चीनी के अनुमानित खपत से अधिक उत्पादन की उम्मीदों के बीच निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों पर जोर दिया जा सके। उद्योग जगत चाहता है कि, सरकार उन मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करे, जिनका उद्देश्य उनकी इथेनॉल उत्पादन क्षमता का विस्तार करना है, चीनी मिलों की लाभप्रदता और तरलता बनाए रखने में मदद करना है।
सरकार ने घरेलू चीनी मिलों को 2018-19 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 5 मिलियन टन निर्यात करने के लिए कहा है, ताकि देश में अतिरिक्त चीनी स्टॉक को कम किया जा सके। चीनी उद्योग ने अब तक 1.5 मिलियन टन चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार मिलों को वित्तीय सहायता या सब्सिडी देने में मदद कर रही है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के महानिदेशक, अविनाश वर्मा ने कहा कि, सभी मिलों को अपना व्यक्तिगत निर्यात कोटा पूरा करने के लिए नीति लागू करने की समय की जरूरत है। उन्होंने कहा की, हम समझते हैं कि सरकार को पैसा जारी करने में कुछ समय लगता है, लेकिन अगर कुछ मिलें मौजूदा वातावरण में निर्यात कर सकती हैं, तो अन्य भी कर सकते हैं।
वर्मा ने कहा कि, चीनी उद्योग ने सरकार से इथेनॉल उत्पादन के लिए कुछ और परियोजनाओं को मंजूरी देने को कहा है। विस्तार और नई इथेनॉल उत्पादन क्षमता के लिए लगभग 256 आवेदन प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन अब तक सब्सिडी वाले ऋणों के लिए केवल 114 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। पहले से प्रस्तुत आवेदनों से अधिक परियोजनाओं को मौजूदा 7.5 प्रतिशत से पेट्रोल-इथेनॉल मिश्रण दर को बढ़ाकर 10 प्रतिशत और उससे अधिक करने के लिए मंजूरी दे दी जानी चाहिए।
एसोसिएशन ने केंद्र से चीनी उत्पादन की मौजूदा लागत को 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश में चीनी की कीमतें 31-31.5 रुपये किलो हैं, और महाराष्ट्र में भी कम, 29 रुपये किलो है। भारतीय चीनी एक्जिम कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अधीर झा ने कहा कि, सरकार को कंपनियों को अपने कोटा से परे निर्यात करने की अनुमति देनी चाहिए और सहायता के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए।
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