व्यापारियों ने केंद्र सरकार से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया

हैदराबाद : शहर में वैश्विक चावल सम्मेलन में भाग लेने वाले व्यापारियों और हितधारकों ने केंद्र सरकार से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है।उन्होंने कहा कि, प्रतिबंध से पड़ोसी म्यांमार को लाभ हुआ है और उम्मीद है कि वह अपने अधिकांश उत्पादन को चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे एशियाई देशों को निर्यात करेगा।उन्होंने कहा कि, म्यांमार 1960 के दशक में चावल का शीर्ष निर्यातक था, लेकिन अपने आंतरिक उथल-पुथल के कारण यह तमगा खो बैठा और हाल ही में यह वैश्विक मानचित्र पर वापस आया है।

देश में पहला वैश्विक चावल सम्मेलन तेलंगाना सरकार की साझेदारी में अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी संस्थान (ICI) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया में चावल का शीर्ष निर्यातक है, जिसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान का स्थान आता है। भारत सालाना 17 मिलियन टन से अधिक चावल का निर्यात करता है, जिसमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शीर्ष राज्य हैं। भारतीय चावल निर्यातक संघ (आईआरईएफ) के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा कि, टूटे चावल पर प्रतिबंध हटाने से देश के व्यापारियों, निर्यातकों और किसानों को मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, हमारे निर्यात में कमी आई है, लेकिन हम स्वीकृत गुणवत्ता वाले चावल के निर्यात के साथ 17 मिलियन टन के आंकड़े तक पहुंचने में सक्षम होंगे।शिखर सम्मेलन के विशेषज्ञों ने खेती में कीटनाशकों के कम उपयोग के लिए अभियान चलाने का आह्वान भी किया। एक प्रतिभागी ने कहा, अगर ऐसा होता है, तो तेलंगाना से निर्यात बढ़ जाएगा।सरकार ने प्रतिबंध लगाया था क्योंकि वह सूखे की संभावना से चिंतित थी। बाद में इसने पांच देशों को निर्दिष्ट मात्रा में इसके निर्यात की अनुमति दी थी।

राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, जुलाई में भारत द्वारा प्रतिबंध की घोषणा के समय वैश्विक स्तर पर धान की खेती में एक करोड़ कम रकबा गया था। लेकिन तेलंगाना में हमारी उत्पादकता वही रही, और देश में भी। इसलिए, हम जल्द ही नई एनडीए सरकार द्वारा प्रतिबंध हटाने की दिशा में एक अनुकूल निर्णय की उम्मीद कर सकते हैं।

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