लखनऊ : पहले से ही चीनी मिलें अधिशेष की’समस्या से जूझ रही और उसके ऊपर उत्तर प्रदेश में अब रिकॉर्ड चीनी उत्पादन हुआ है। इस साल चीनी उत्पादन लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में ज्यादा रहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 में गन्ने के 27.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में 2019 में 26.63 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था। इस पेराई सत्र में बी हैवी मोलासिस से भी इथेनॉल का उत्पादन बढ़ा है। पेराई सत्र अभी भी जारी है। उच्च चीनी उत्पादन के प्राथमिक कारणों में से एक लॉकडाउन के कारण गुड़ इकाइयों का बंद होना है। इन इकाइयों में लगभग 10% गन्ने का इस्तेमाल होता है, लेकिन यह गन्ना भी इस सीजन में मिलों को भेज दिया गया।
इस साल बेमौसम बारिश और लॉकडाउन से कोल्हुओं का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। जिसके कारण वह गन्ना भी मिलों को भेज दिया गया था।लॉकडाउन की घोषणा के बाद से चीनी की घरेलू और व्यावसायिक दोनों खपत कम हो गई है।
कोरोना संकट ने चीनी उद्योग को बड़ा परेशान किया है लेकिन इसके बावजूद चीनी मिलें इस संकट का सामना कर गन्ना पेराई में जुटी हुई है। चीनी मिलों को अधिक गन्ना पेराई करना पडा क्यूंकि इससे गन्ना किसानों को नुकसान से बचाया जा सके।
ISMA द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 15 मई 2020 तक 122.28 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की इसी तारीख को उत्पादित 116.80 लाख टन के उत्पादन की तुलना में 5.48 लाख टन अधिक है। यह उत्पादन राज्य में अब तक का सबसे अधिक चीनी उत्पादन है, जो 2017-18 के चीनी सीजन में उत्पादित 120.45 लाख टन से अधिक है। इस वर्ष संचालित 119 मिलों में से 73 मिलों ने अपनी पेराई समाप्त कर दी है और 46 मिलें अपना परिचालन जारी रखे हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष 15 मई 2019 को 28 मिलें चल रही थीं।
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