लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गन्ने के वैल्यू चेन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की डिस्टिलरीज द्वारा 53 मिलियन लीटर (ML) इथेनॉल सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल मार्केंटिंग कंपनीज (OMC) को सप्लाई की जाएगी। यह इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत होने वाला है।
इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत हरित ईंधन को धीरे धीरे अपनाया जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर तेल आयात बिल कम होगा। यूपी कोऑपरेटिव शुगर मिल्स फेडरेशन लिमिटेड अपने छह मौजूदा डिस्टिलरी में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) टेक्नोलोजी पर निवेश कर रहा है।
फेडरेशन के अनुसार, छह इकाइयां सामूहिक रूप से 35 मिलियन लीटर और 13.5 मिलियन लीटर इथेनॉल और रेक्टिफाइड स्पिरिट का उत्पादन करने की क्षमता रखती हैं, इसके अलावा 25,000 टन बायो-कम्पोस्ट गन्ना उपोत्पाद जैसे कि बगास से होता है। आजमगढ़ और बिजनौर जिलों में भी फेडरेशन के स्वामित्व वाली दो आधुनिक डिस्टिलरीज हैं। इन दोनों डिस्टिलरीज में क्रमशः 18 मिलियन लीटर और 3 मिलियन लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इस प्रकार, फेडरेशन द्वारा संचालित आठ डिस्टिलरीज में आगामी पेराई सत्र में क्रमशः 53 मिलियन लीटर और 16.5 मिलियन लीटर इथेनॉल और रेक्टिफाइड स्प्रिट का उत्पादन करने की समग्र क्षमता होगी।
इथेनॉल खरीद पेकिंग ऑर्डर में के तहत इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) लगभग 45 प्रतिशत शेयर के साथ सबसे बड़ा खरीदार है, उसके बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HP) और भारत पेट्रोलियम (BP) आते हैं। महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब-हरियाणा और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों ने 8.5 प्रतिशत से अधिक इथेनॉल ब्लेंडिंग किया है। महाराष्ट्र और यूपी ने गन्ने की उच्च उपलब्धता के कारण नौ प्रतिशत या उससे अधिक अनुपात में ब्लेंडिंग किया है।
इस बीच, फेडरेशन को इथेनॉल और रेक्टिफाइड स्पिरिट की बिक्री से एक साल में 250 करोड़ रुपये आय की संभावना है। इससे 24 चीनी मिलों में किसानों के बकाये तुरंत चुकाये जा सकेंगे। जैव उर्वरकों (बायो कंपोस्ट) को स्थानीय किसानों को दिया जाएगा जिससे कि वे उसका इस्तेमाल अपनी कृषि मिट्टी में कर सकें।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले केंद्र को आश्वासन दिया था कि विदेशी विनिमय को बचाने और तेल आयात बिल में कटौती के लिए राज्य इथेनॉल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करेगा।
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