उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, चीनी मिलों पर सख्त हुई उत्तर प्रदेश सरकार

बरेली : मकसूदापुर मिल द्वारा बकाया भुगतान में देरी से परेशान किसानों को जल्द ही राहत मिलने के आसार है, बकाया भुगतान में देरी के चलते मकसूदापुर मिल पर बकाया चुकता करने के लिए जिला प्रशासन ने मिल का चीनी स्टॉक अपने निगरानी में लिया है। 2018-19 में इस मिल ने 277.56 करोड़ रुपये का 86.25 लाख क्विंटल गन्ना खरीदा, लेकिन केवल 145.44 करोड़ का भुगतान कर सकी। मकसूदापुर मिल पर 132.12 करोड़ रुपये अभी तक बकाया है, जबकि मिल के स्टॉक में बमुश्किल 80 करोड़ रुपये की चीनी शेष है।

उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के पास गन्ना किसानों का लगभग 6000 करोड़ रूपये अभी भी बकाया है, जिसमे निजी चीनी मिलों की संख्या सबसे ज्यादा है। गन्ना किसान और कई किसान संघठनों द्वारा प्रदेश में जगह जगह आंदोलन शुरू कर दिया है। किसानों को इस हालत से जल्द राहत मिलने की संभावना है। भुगतान के मामले में देरी के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि, किसानों के बकाया को 1 माह के भीतर 15 फीसदी ब्याज के साथ वापस करें। इसके बाद योगी सरकार एक्शन में नजर आ रही है।

गन्ना विकास विभाग एवं चीनी उद्योग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में एक माह मेें संपूर्ण बकाया भुगतान नहीं होने की दशा में अन्य मिलों का चीनी स्टॉक जब्त कर उसकी बिक्री से किसानों की देनदारी चुकता कराई जाएगी। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों पर कार्रवाई शुरू कर दी है, और अगर मिलें चुकाया देने में विफल रहती है तो उनकी चीनी नीलामी के बाद किसानों को गन्ना बकाया भुगतान होगा।

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