लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के स्वामित्व दो चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए 1,100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। ये मिलें बस्ती और गोरखपुर जिलों के मुंडेरवा और पिपराइच में हैं। इन मिलों को इंटिग्रेटेड शुगर कांप्लेक्सेस के रूप में विकसित किया जाएगा, जिनमें चीनी कारखाना, बिजली उत्पादन संयंत्र और इथेनॉल / रिफाइनरी इकाई का समावेश होगा। ये चीनी मिलें यूपी स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPSSCL) के स्वामित्व वाली मिलें हैं। राज्य के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि सरकार मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए UPSSCL को कर्ज के रूप में 438 करोड़ और 657 करोड़ रुपये देगी।
दोनों संयंत्रों को आगामी 2019-20 के पेराई सत्र से चालू किया जाएगा। 2020-21 में इन इकाईयों को सल्फर मुक्त चीनी का उत्पादन करने के लिए आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा। राणा ने कहा कि बाजार में सल्फर कम चीनी की भारी मांग है और यह सामान्य चीनी की तुलना में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल के प्रीमियम पर बिकता है। इससे क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि होगी।
मुंडेरवा संयंत्र में प्रति दिन 5,000 टी.सी.डी (7500 टी.सी.डी. क्षमता तक विस्तारीकरण योग्य) गन्ने की पेराई हो सकेगी। साथ ही यहां 27 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी और यहां डिस्टिलरी की भी सुविधा होगी। इन इकाईयों को 1999 में बंद कर दिया गया था।
पिपराईच शुगर प्लांट की क्षमता 5000 टी.सी.डी जिसे 7500 टी.सी.डी तक बढ़ाया जा सकता है। यह मिल 2008 से बंद पड़ी है। राणा ने कहा कि गन्ने के रस से सीधे इथेनॉल बनाने की सुविधा वाला पिपराईच इकाई उत्तर भारत का पहला इथेनॉल संयंत्र होगा।
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