डिस्टलरी के लिए मोलासेस का कोटा बढ़ा; चीनी मिलें निराश

लखनऊ : चीनी मंडी

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें लंबे समय से राज्य सरकार से डिस्टलरी के लिए मोलासेस आरक्षित करने की व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने देशी शराब बनाने वाले निर्माताओं के लिए 12.5% से 16% तक आरक्षित कोटे में वृद्धि की है। यूपी के गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बताया कि, इस साल अनुमानित 55 लाख टन से लगभग 47 लाख टन तक मोलासेस उत्पादन घटने के कारण डिस्टलरी द्वारा देशी शराब बनाने को लेकर मोलासेस की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है।

हालांकि, निजी चीनी मिलरों ने आरक्षित कोटा में इस बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की है, यह दावा करते हुए कि यह न केवल उनके नकदी प्रवाह को प्रभावित करेगा, बल्कि पेट्रोल में मिश्रण के लिए इथेनॉल बनाने की दिशा में मोलासेस की मुफ्त उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा। 480-500 रुपये प्रति क्विंटल के प्रचलित मोलासेस बाज़ार मूल्य के विरुद्ध, राज्य डिस्टिलरीज अपने आरक्षित कोटा को 70 रुपये प्रति क्विंटल की अत्यधिक रियायती दर पर उठाते हैं, इस प्रकार बाज़ार दर का केवल 15% भुगतान करते हैं। दरअसल, यूपी की चीनी मिलें लंबे समय से राज्य सरकार से डिस्टलरी के लिए मोलासिस रियायती दर पर देने की व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रही हैं, ताकि वे खुले बाजार से खरीद सकें। वे मानते हैं कि शराब भी एक वाणिज्यिक वस्तु है और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा निर्मित है, वे इस तरह के आरक्षित कोटा के हकदार नहीं है।

 

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