लखनऊ/ मुजफ्फरनगर: केंद्र सरकार के नये नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों पर यूपी सरकार ने कड़ी कार्रवाई शुरू की है, जिसके ख़िलाफ में विरोध की आवाज़ें भी उठने लगी हैं। सरकार के कदम को गलत बताते हुए इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही जा रही है।
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के विरोध-प्रदर्शनों में हुए संपत्तियों के नुकसान की भरपायी प्रदर्शनकारियों से जुर्माना लगाकर वसूल की जाएगी, जिसके बाद शनिवार को यूपी के कई जिलों में प्रशासन ने विरोध प्रदर्शनों के आरोपियों की संपत्ति की पहचान और सील करने की कार्यवाही शुरू कर दी।
इस बीच, रामपुर में शनिवार को हुई हिंसा में एक और व्यक्ति की मौत हो गई। हाल ही में कानपुर में हुई झड़पों के दौरान घायल एक अन्य व्यक्ति ने शनिवार देर रात को दम तोड़ दिया। बता दें कि गुरुवार से जारी इन राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक 18 लोग जान गंवा चुके हैं।
मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कथित आरोपियों से संबंधित 50 दुकानों को सील कर दिया है। सील की गई दुकानें शहर के उपद्रव-ग्रस्त मिनाक्षी चौक और कच्ची सड़क इलाकों में हैं।
लखनऊ प्रशासन ने विरोध प्रदर्शनों से हुए नुकसान के आकलन के लिए चार सदस्यों का पैनल गठित किया है। गोरखपुर पुलिस ने 50 प्रदर्शनकारियों को पकड़ने का दावा किया तथा उनके फोटो सड़क-चौराहों पर लगाये गए हैं। फर्रुखाबाद में 200 से अधिक अज्ञात और 25 नामांकित व्यक्तियों को बुक किया गया है। कई अन्य जिलों के डीएम और पुलिस प्रमुखों ने पुष्टि की कि उन्होंने वीडियो फुटेज के जरिए आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
इस बीच, मुज़फ़्फ़रनगर में लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करते हुए इसके विरुद्ध कोर्ट जाने की बात कही है। सरकारी सूत्रों ने भी माना कि जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, हालांकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से ही क्षतिपूर्ति करने की बात राज्यों से कही थी।
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