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नई दिल्ली: चीनी मंडी
देशभर में गन्ना बकाया भुगतान की समस्या अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है, उत्तर प्रदेश में 18 अप्रैल तक किसानों का गन्ना बकाया लगभग 9,536 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार ने यूपी में मिलों के लिए 3,000 करोड़ के सॉफ्ट लोन पैकेज और राज्य सरकार ने 24 सहकारी चीनी मिलों को बकाया निपटाने के लिए 500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पैकेज की घोषणा की है। इसके बावजूद बकाया भुगतान में किसान और सरकार दोनों को राहत नही मिली है।
गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने पहले कहा था कि, 5 अप्रैल तक बकाया 4,500 -5,000 करोड़ रुपये तक आ जाएगा, उन्हें उम्मीद थी कि, सॉफ्ट लोन के लिए आवेदन करने वाली लगभग सभी 93 चीनी मिलों को बैंकों द्वारा लोन मंजूर होगा। लेकिन, सभी प्रयासों के बावजूद, गन्ना बकाया कम नही हुआ है, क्योंकि लगातार चल रही पेराई हर दिन नया बकाया आंकड़ा जोड़ रही है।
गन्ना आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 18 अप्रैल तक सहकारी क्षेत्र के 24 सहित राज्य की 117 निजी चीनी मिलों ने 107.07 लाख टन चीनी का उत्पादन करने के लिए 932.14 लाख टन गन्ने की पेराई की है। जबकि मिलों ने पहले ही 17,905.29 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो कि कुल बकाया का तक़रीबन 65.25% है, और अभी भी 9,539 करोड़ भुगतान बाकी हैं। इसमें से निजी चीनी मिलों का 8,955.41 करोड़ रुपये का बकाया है, जबकि सहकारी चीनी मिलों का 526.12 करोड़ रुपये बकाया है।
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुल 117 में से 16 मिलें पहले ही बंद हो चुकी हैं, लेकिन सीजन अभी भी शुरू है, जिसके मई के अंत तक विस्तार की संभावना है। गन्ना विभाग के एक अधिकारी ने कहा, रिकवरी प्रतिशत में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण पिछले साल का 120.50 लाख टन का चीनी का रिकॉर्ड इस सीझन में ब्रेक होने की संभावना है। पिछले साल के 10.84% रिकवरी की तुलना में इस साल रिकवरी भी 11.49% है।
विलंबित गन्ना भुगतान राज्य सरकार के लिए एक कांटेदार मुद्दा बन गया है, जो उपज बेचने के 14 दिनों के भीतर किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान करने के वादे पर सत्ता में आई थी। ऐसी हालात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बयान जारी करना जारी रखा है, क्योंकि मार्च 2017 में सरकार द्वारा गन्ना किसानों को 62,000 करोड़ का अभूतपूर्व भुगतान किया गया है। लेकिन तथ्य यह है कि, बकाया भुगतान के चलते इस चुनावी वर्ष में, लगभग 40 लाख गन्ना किसान परिवार इस तरह के दावों से उत्साहित नहीं हैं। गन्ने की बम्पर कटाई और रिकॉर्ड चीनी उत्पादन जैसे कारकों से उद्योग की स्थिति बिगड़ रही है।