लखनऊ : फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। राज्य के सबसे अधिक औद्योगिक क्षेत्रों में से एक नोएडा ने 74,000 करोड़ रुपये के निर्यात के साथ जिले के रूप में प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। FIEO का कहना है कि, उत्तर प्रदेश की लैंडलॉक स्थिति को देखते हुए परिवहन की उच्च लागत का मुकाबला करने और ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार की सब्सिडी ने निर्यात को बढ़ाने में मदद की है।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में यूपी से निर्यात की कुल मात्रा 1.57 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक यह 1.59 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2023 से मिले इनपुट के साथ निर्यात करीब 1.67 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। अन्य राज्यों की तुलना में यूपी में अभी भी सुधार की काफी संभावनाएं हैं। 2021-22 में, गुजरात 9.46 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के साथ सभी राज्यों में सबसे ऊपर है, इसके बाद महाराष्ट्र 5.45 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है। यूपी सूची में पांचवें और कर्नाटक छठे पायदान पर है।
यूपी प्रमुख रूप से यूएसए, यूएई, जर्मनी, नेपाल, फ्रांस, स्पेन, सऊदी अरब और बांग्लादेश को निर्यात कर रहा है। राज्य के निर्यात को बढ़ावा देने वाले उत्पादों में दूरसंचार उपकरण, मांस, मानव निर्मित फाइबर, चमड़े के जूते, एल्यूमीनियम उत्पाद, रेशम और हस्तनिर्मित कालीन, मशीनरी और इंजीनियरिंग सामान, गेहूं, चावल, चीनी, लोहा और इस्पात, हस्तशिल्प आदि शामिल हैं। FIEO के अनुसार, उत्तर प्रदेश के विकास का कारण राज्य सरकार की निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं रही हैं। परिवहन पर वित्तीय सहायता की भी पेशकश की जा रही है, जो चारों ओर से घिरे राज्य यूपी से निर्यात की लागत को विनियमित करने में मदद करता है। इसमें माल ढुलाई और हवाई मार्ग से भेजे जाने वाले निर्यात कार्गो पर सब्सिडी शामिल है।