मुंबई / शंघाई : चीनी मंडी
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध ने एशियाई पावरहाउस चीन को भारत से चीनी आयात करने के लिए प्रेरित किया हैं और भारतीय चीनी को मिला नया बाजार मिला है। एक भारतीय अधिकारी के अनुसार, चीन के रिफाइनरिज भारतीय कच्ची चीनी की अभूतपूर्व मात्रा की खरीद पर विचार कर रहे हैं, जो अगले महीने दक्षिण एशियाई राष्ट्र का दौरा कर चीनी मिल अधिकारियों से मिलकर आधारभूत संरचना का निरीक्षण करेंगे । चीन शुगर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष लियू हैंडे ने कहा, यदि भारत की चीनी की आयात की कीमतें काफी अच्छी होगी, तो चीनी रिफाइनरिज बड़ी मात्रा में चीनी खरीद सकते हैं।
अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर ने चीन को अन्य देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया है। यह समय भारत के बेहतर माना जा रहा है, जहां चीनी का रिकॉर्ड आउटपुट घरेलू भंडार को बढ़ावा देने का अनुमान है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि, चीन के साथ गैर-बासमती चावल के बाद चीनी पर दूसरा बड़ा कृषि वस्तु समझौता होगा ।
शंघाई बायुन निवेश कंपनी के एक फंड मैनेजर झान जिओ ने कहा, चीन को व्यापार भागीदारों के लिए अपना खुला दृष्टिकोण दिखाना होगा । आयात का वॉल्यूम भारत जितना बड़ा नहीं हो सकता है, खासतौर से चीन के बड़े राज्य भंडारों को 7 मिलियन टन के रूप में अनुमानित किया गया है। चीन शुगर एसोसिएशन के लियू इस बात से सहमत हैं कि, यह एक मौका है कि सरकार भारतीय चीनी को स्टॉकपाइल के रूप में नहीं खरीद सकती है ।
चीन के पिछले कार्यों से संकेत मिलता है कि, झान और लियू सही हो सकते हैं। देश ने अपने स्थानीय उद्योग की रक्षा के लिए पिछले साल मई में आयात पर उच्च शुल्क लगाया था। वर्तमान में, वार्षिक कोटा से ऊपर चीनी आयात 90 प्रतिशत पर कर लगाया जाता है। चीन शुगर एसोसिएशन के लियू ने कहा, “हम नहीं जानते कि आयात कोटा कितना जारी किया जाएगा, या चीन और भारत आयात पर कम टैरिफ के संबंध में किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।”
टैरिफ के बावजूद, चीन के लिए नियमित सप्लायर बनने के लिए भारत का उच्च प्रोत्साहन है। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के मुताबिक, 16 साल में पहली बार भारत ब्राजील को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बनने के लिए तैयार है। इसीके चलते भारत सरकार विदेशी बिक्री को बढ़ावा देने के लिए मिलों को वित्तीय सहायता दे रही है।