जकार्ता : भारत की तरह इंडोनेशिया में भी एथेनॉल इस्तेमाल करने पर फोकस बढ़ गया है, जिससे देश को आर्थिक और पर्यावरण फायदा होगा। नेशनल रिसर्च एंड इनोवेशन एजेंसी (BRIN) के अनुसार, इंडोनेशिया में बायोएथेनॉल की मांग बढ़ने से घरेलू तेल और गैस आयात कोटा को कम करने के लिए मदद मिल सकती है। BRIN के एग्रोइंडस्ट्री रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता अगुस एको जाहजोनो ने कहा, उच्च निवेश, सीमित कच्चे माल और उच्च कीमतों ने इंडोनेशिया में बायोएथेनॉल के विकास और उत्पादन में बाधा उत्पन्न की है। वास्तव में, अधिकांश घरेलू उद्योग शीरे का उपयोग करते हैं, जो एक निर्यात वस्तु है।
जाहजोनो ने कहा, बायोएथेनॉल का उपयोग ईंधन, पेय पदार्थों औए विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। एथेनॉल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 90 प्रतिशत तक कम कर सकता है।उन्होंने कहा, इंडोनेशिया में ईंधन के रूप में बायोएथेनॉल के इस्तेमाल में अभी भी कई चुनौतियां है, जिसमें सुधार किया जाना चाहिए।बायोएथेनॉल के आर्थिक मूल्य में सुधार के प्रयासों में फैक्ट्री निवेश लागत को कम करना, प्रक्रिया दक्षता में सुधार करना और उप-उत्पाद और सह-उत्पाद बनाना शामिल है। इंडोनेशिया में कच्चे माल के स्रोतों की बहुतायत है, जिसमे स्टार्च, चीनी और साबूदाना का इस्तेमाल किया जा सकता है।