नई दिल्ली : चीनी मंडी
केंद्र सरकार ने इथेनॉल उत्पन्न को बढ़ावा और ईंधन आयात निर्भरता कम करने के प्रयास जारी रखे है। अब इसी कड़ी को आगे जोड़ते हुए, केंद्र सरकार के सामने इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिशेष खाद्यान्न का उपयोग का प्रस्ताव है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल शोधन-सह-विपणन कंपनियों को सरकार के औपचारिक दिशानिर्देशों का इंतजार है। जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 के तहत 2030 तक देश में पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
नीति में क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, सड़े हुए आलू, मक्का और चुकंदर के उपयोग की भी योजना है। पिछले महीने, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने फैसला किया था कि, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास उपलब्ध अधिशेष चावल को इथेनॉल में परिवर्तित किया जा सकता है। अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर बनाना और EBP कार्यक्रम के लिए इथेनॉल सम्मिश्रण करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति गेहूं और टूटे हुए चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्नों से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी गई है।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति गेहूं और टूटे हुए चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्न (जो मानव उपभोग के लिए अयोग्य हैं) से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति देती है।
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