लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश: गन्ना फसल में रेड रॉट बीमारी तेजी से फैलना शुरू हो गई है। रेड रॉट बीमारी किसानों के चिंता का कारण बन गई है। किसान इस बीमारी को रोकने में जुट गये है। गन्ने के तने में जड़ों का निकलना, पत्तियों का पीला पड़ना व तने का सूखना आदि लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, कृषि वैज्ञानिक डॉ.मोहम्मद सोहेल ने कहा की, इस बीमारी का कोई स्थाई इलाज नहीं है। लेकिन शुरुआत में थायोकेनिट मिथाइल 100 ग्राम प्रति एकड़ पर किसान भाई डालकर रोकथाम कर सकते हैं।
आपको बता दे की, रोग से प्रभावित गन्ने की तीसरी-चौथी पत्ती पीली पड़ने लगती है। जिससे पूरा गन्ना सूखने लग जाता है।जब गन्ने के तने को लंबा करने पर वह लाल रंग का दिखाई देता है। जिसके बीच-बीच में सफेद धब्बे नजर आते हैं। वहीं तने को छूने पर अल्कोहल जैसी गंध आती है। गांठों से गन्ना आसानी से टूट जाता है।
अजबापुर चीनी मिल के गन्ना प्रमुख विवेक तिवारी ने कहा कि, रोग लगने से पहले उसका उपचार करें। इसके लिए ट्राईकोडरमा का प्रयोग करें। यदि खड़ी फसल में रोग नजर आ रहा है तो रोग प्रभावित गन्ने को जड़ से उखाडकर नष्ट कर दें। जिस जगह से गन्ने को उखाड़ा है वहां पर 2 से 3 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर पानी डाल दें। चीनी मिल इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर मुफ्त और ट्राइकोडर्मा किसानों को 50 प्रतिशत छूट पर उपलब्ध कराई जा रही है।