गैर ज़िम्मेदार चीनी मिलों की लिस्ट तैयार कर रही है उत्तर प्रदेश सरकार; होंगे सरकारी सहायता से वंचित

लखनऊ, 23 सितम्बर, उत्तर प्रदेश सरकार स्वच्छ और पारदर्शी प्रशासन देने के लिए प्रतिबद्द होकर काम कर रही है। सरकार की सोच के अनुरूप सभी महकमों में काम हो इसके लिए प्रशासन को सख़्त निर्देंश दिए जा चुके है। प्रदेश में गन्ना किसानों और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए नई नीति बनाकर फ़ैसले लिए जा रहे है। शासनादेश में चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाया की राशि की समय पर अदायगी सुनिश्चित कराने के लिए वित्तीय मदद देने के प्रावधान किए गए है। लेकिन सरकार की इस पहल के बावजूद कुछ चीनी मिलों ने सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए गन्ना किसानों के बकाया पर लचीला रुख़ अपनाया है, जिससे समय पर गन्ना किसानों को उनके हक़ का पैसा नहीं मिला। चीनी मिलों के इस व्यवहार से चिन्तित प्रदेश सरकार ने की कई बार मिलों को किसानों का बकाया देने के निर्देश दिये लेकिन कुछ चीनी मिलों द्वारा चीनी बेचकर उससे मिली रक़म को अन्य कार्यों में उपयोग करने की शिकायतें मिली है।मिलों के इस रवैये पर प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कड़ा रुख़ अख़्तियार करते हुए वर्तमान पैराई सत्र शुरु होने से पहले तक गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के निर्देश दिए है। गन्ना बकाया चुकाने के मामले में मिलों के लचीले रुख़ पर लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि जिन चीनी मिलों ने किसानों का बकाया अभीतक नहीं चुकाया है उनको सरकारी सहायता से वंचित किया जाएगा। पूरे प्रदेशभर से ऐसी गैर ज़िम्मेदार चीनी मिलों की लिस्ट तैयार की जा रही है। जहाँ भी डिफ़ॉल्टर चीनी मिलें है उन्हे सरकार से किसी भी तरह की सहायता या अनुदान नहीं दी जाएगी।

मंत्री ने कहा कि गन्रा किसानों का हक़ मारने वाली ग़ैर ज़िम्मेदार चीनी मिलों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है। ऐसी चीनी मिलों को वरीयता श्रेणी से बाहर किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि क़ानूनन जो भी संभव होगा वहीं सख़्त कार्रवाई डिफाल्टर चीनी मिलों के खिलाफ की जाएगी। मंत्री ने कहा कि विभागीय जानकारी के अनुसार सिंभावली ग्रुप और मोदी ग्रुप की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में घोर लापरवाही का आरोप पाया गया है। इन चीनी मिलों ने चीनी बिक्री के बाद प्राप्त हुई आमदनी को गन्ना किसानों को चुकाने के बजाय अपने नीजि कार्यों और अन्य उपयोग में ख़र्च करने की शिकायतें मिली है जो न्यायसंगत नहीं है।

मंत्री ने कहा की चीनी मिलों को बार बार चेताने के बाद भी उनके व्यवहार मे परिवर्तन नहीं आया है इसलिये अब इन लोगों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धाराओं के अंतर्गत एफआईआर रिपोर्ट दर्ज की जा रही है। मंत्री ने कहा कि सरकार ने कई बार मिलों को निर्देश दिए है लेकिन बावजूद इसके अबतक जिन चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का बकाया देने मे आनाकानी की उनको अब परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस मसले पर हमारे संवादाता ने जब सहारनपुर मंडल के गन्ना उपायुक्त दिनेश्वर सिंह से बात की तो उनका कहना था कि सभी चीनी मिलों को निर्देश दिए गए है कि 31 अक्तूबर तक गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान करें वर्ना उक्त चीनी मिलों की आरसी जारी कर बाज़ार में उनकी नीलामी की जाएगी और उस धन से गन्ना किसानों का बताया चुकाया जाएगा।

ग़ौरतलब है कि हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लॉंड्रिंग की जाँच के मसले पर सिंभावली चीनी मिल की 110 करोड़ की संपत्ति भी कुर्क की थी। सीबीआई द्वारा दर्ज की गयी एफआईआर में इस मिल पर आरोप था कि मिल प्रबंधनम ने ओबीसी बैंक से 5762 किसानों का गन्ना बकाया का भुगतान करने के लिए 148.59 करोड रुपयों का ऋण लिया था, लेकिन मिल मालिकों ने इन रुपयों को गन्ना किसानों को भुगतान करने के बजाय अपने नीजि उपयोग में लेकर कर क़ानून का उल्लंघन किया है।

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