बिजनौर: उत्तर प्रदेश की 119 चीनी मिलों में से कम से कम 97 मिलों ने पिछले वर्ष की दर से किसानों को भुगतान करना शुरू कर दिया है, क्योंकि राज्य सरकार ने इस सीजन के लिए राज्य सलाह मूल्य (SAP) की घोषणा अभी तक नही की है। अधिकारियों के अनुसार, मिलों द्वारा कुल भुगतान के 48% से अधिक का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
बिजनौर चीनी मिलों में प्रशासनिक अधिकारी, एके सिंह ने कहा, चीनी बाजार में मंदी है। सरकार ने इस साल चीनी के न्यूनतम मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की है। हम सभी करों सहित चीनी 3,260 रुपये प्रति क्विंटल पर बेच रहे हैं। टैक्स देने के बाद मिलों को 3,100 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। यह चीनी के लिए न्यूनतम मूल्य है जबकि चीनी के उत्पादन की लागत उन कीमतों से अधिक है, जो मिलों को मिलती है। इसीलिए चीनी उद्योगों ने सरकार से चालू सीजन में गन्ने के लिए एसएपी नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आजाद किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह के अनुसार, मिलों के क्रय केंद्र पर किसानों को उनकी गन्ने की फसल की तौल के बाद मिलने वाली रसीदों पर कोई कीमत नहीं दी जा रही है। मिलों ने चालू सीजन के बकाये का भुगतान पिछले साल के एसएपी के अनुसार करना शुरू कर दिया है। सरकार को जल्द ही 2020-21 के लिए एसएपी पर अपना रुख साफ करना चाहिए। मजदूरों की मजदूरी के साथ डीजल, उर्वरक, कीटनाशकों की कीमतें आसमान छूती हैं, जिससे गन्ने का उत्पादन लागत अधिक होता है। अगर एसएपी को नहीं बढ़ाया गया तो किसान विरोध करेंगे।