हापुड़ : उत्तर प्रदेश में पेराई सीजन अपने आखरी पाडाव में है। पेराई खत्म कर अपनी अगली उपज व्यस्त गन्ना किसानों के सामने चोटी भेदक बीमारी परेशानी खड़ी कर दी है। अब गन्ना किसान चोटी भेदक बीमारी से निपटने के जद्दोजहद में लगे हुए है।
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ने का नुकसान कर रही अंकुर भेदक और चोटी भेदक बीमारी की रोकथाम को चीनी मिल के कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को जागरूक करते हुए कीटनाशक के उपयोग के विषय में जानकारी दी जा रही है।
आपको बता दे की, सिंभावली चीनी मिल के कृषि विशेषज्ञों की टीम ने दत्तियाना, माधापुर, पीरनगर, बीरसिंहपुर का दौरा कर किसानों को जागरूक किया। गन्ना प्रबंधक कुशवीर सिंह, बिजेंद्र सिंह, राजीव सिंह, शिवकुमार ने कहा कि, इन दिनों अंकुर भेदक और चोटी भेदकर कीट का गन्ने की खेती में प्रकोप चल रहा है, जिसकी रोकथाम के लिए किसानों का सतर्क रहना जरूरी है। उक्त दोनों बीमारियों की रोकथाम के लिए डेढ़ सौ मिलीलीटर कोरोजन को चार सौ लीटर पानी में मिलाकर नोजिल की मोटी धार से छिड़काव करते हुए फौरन सिंचाई भी कर दें।
गन्ना विभाग ने किसानों को सावधान रहने को कहा है क्यूंकि चोटी भेदक की शुरूआत हो चुकी है।
गन्ना विभाग के मुताबिक, फरवरी – मार्च में पहली पीढ़ी सक्रिय होती है और अप्रैल-मई में दूसरी पीढ़ी का प्रकोप होता है। पहली एवं दूसरी पीढ़ी में भौतिक नियंत्रण की विधियां अपनाया जाये तो तीसरी पीढ़ी का प्रकोप नहीं हो पाता। लाइट ट्रेप, फेरोमोन ट्रेप लगाकर प्रौढ़ कीटों को इकट्ठा कर मारना एवं अण्ड समूह वाली पत्तियों को तोड़ कर नष्ट करना नियंत्रण का सर्वाधिक कारगर तरीका है। इसकी तितली दूधिया सफेद एवं अण्ड समूह मटमैले रंग के होते है।