लखनऊ: देश में गन्ना पेराई सत्र अपने समाप्ती की ओर है और फिलहाल सिर्फ उत्तर प्रदेश की कुछ मिलें ही पेराई में लगी हुई है। चीनी मिलें कोरोना के कारण आर्थिक समस्या से जूझ रही और इसी के चलते वे गन्ना बकाया चुकाने में भी विफल रहे है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, प्रदेश में 119 चीनी मिलों द्वारा 112 करोड़ क्विंटल गन्ने की रिकॉर्ड पेराई के साथ, मिलों पर गन्ना किसानों का लगभग 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। गन्ना विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों ने अब तक 40 लाख किसानों को 20,489 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, और अभी भी 15,040 करोड़ रुपये का भुगतान करना बाकी हैं।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के युवा अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने कहा, भुगतान में देरी से किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने गन्ने की फसलों पर बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन अभी भी खाली हाथ हैं और बैंकों से ऋण लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। किसानों ने लॉकडाउन के दौरान सरकार के साथ सहयोग किया और अपने बकाये की निकासी के लिए विरोध नहीं किया। लेकिन, लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद, मिलें अभी भी अपना बकाया नहीं दे रही हैं, जिससे कई किसान गरीबी की कगार पर पहुंच गए हैं और उनके पास आंदोलन शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।सिंह ने कहा, ‘हम सभी जिला अध्यक्षों के साथ 16 जून को वर्चुअल मीटिंग करेंगे, जिसमें आंदोलन शुरू करने के कार्यक्रम पर उनके सुझाव लिए जाएंगे।
आपको बता दे सरकार भी लगातार कोशिश कर रही है की गन्ना बकाया भुगतान जल्द से जल्द हो जाए।
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