पीलीभीत: गन्ना विकास और चीनी उद्योग के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 119 चीनी मिलों पर 9,144 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया है, जिसमें पिछले वर्ष की 699.47 करोड़ रुपये की बकाया राशि भी शामिल है। चीनी मिलों ने पिछले साल 35,201.34 करोड़ रुपये मूल्य का कुल गन्ना खरीदा, जिसमें से 34,501.88 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया और शेष भुगतान अभी बाकी है। इस साल जनवरी तक पेराई हुई गन्ने की कीमत 21,231.97 करोड़ रुपये थी, जिसमें से किसानों को केवल 12,787.04 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इससे मिलों पर गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान 8,444.93 करोड़ रुपये हो गया।
गन्ना और चीनी उद्योग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने कहा, राज्य सरकार ने लगभग 46 लाख गन्ना किसानों को 1,95,060 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि का भुगतान किया और यूपी को देश में गन्ना और चीनी उत्पादन में नंबर एक स्थान पर ला दिया। किसान नेता वीएम सिंह ने यह कहते हुए दावे को खारिज कर दिया कि, गन्ना विभाग द्वारा अनुमानित कुल भुगतान पिछले छह वर्षों का संचयी आंकड़ा था।
इसके अलावा, आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि राज्य में चीनी उत्पादन के घटते स्तर के साथ राज्य की मिलों द्वारा गन्ने की कुल पेराई लगातार तीन वर्षों से कम हो रही है। वर्ष 2019-20 में मिलों ने 1,118.20 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करके 126.37 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था।2020-21 में गन्ने की मात्रा घटकर 1,027.50 लाख क्विंटल रह गई, जबकि चीनी का उत्पादन घटकर 110.59 लाख रह गया। 2021-22 में गन्ने की कुल पेराई 1,016.26 लाख क्विंटल हुई, जबकि चीनी का उत्पादन 101.98 क्विंटल रहा।