लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चीनी की उच्च उत्पादन लागत निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिससे आगामी गन्ना पेराई सत्र में अधिशेष चीनी की समस्या पैदा हो सकती है। आगामी पेराई सत्र (2022-23) में 100 मीट्रिक टन से अधिक के अनुमानित चीनी उत्पादन के मुकाबले, राज्य की अपनी खपत 40 मीट्रिक टन रहने की संभावना है। चीनी मिलों द्वारा अगले महीने से पेराई शुरू होने की उम्मीद है। चीनी उत्पादन लागत मुख्य रूप से राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) द्वारा नियंत्रित होती है, जो उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक है। सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल सितंबर में एसएपी को 315 रुपये से बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। IANS में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इससे चीनी उत्पादन की लागत करीब 31 रुपये से बढ़कर 35 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि, पिछले साल स्थिति अपेक्षाकृत उपयुक्त थी जब निर्यात अच्छा था। इस साल उद्योग आशंकित बना हुआ है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अभी तक अपनी निर्यात नीति की घोषणा नहीं की है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) ने पहले ही गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी और गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी को अपना अभ्यावेदन सौंप दिया है, जिसमें उनके हस्तक्षेप की मांग की गई है।