अमरोहा: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक गन्ना किसान पारंपरिक खेती की जगह स्ट्रॉबेरी और अन्य विकल्प पर ध्यान दे रहे हैं। यहां के किसान गन्ने की खेती छोड़ रहे हैं, इसका मुख्य कारण चीनी मिलों से भुगतान में देरी बताया जा रहा है। अमरोहा-मेरठ सीमा पर रहनेवाले प्रहलाद कुमार और शिशुपाल पीढ़ियों से गन्ने की खेती कर रहे हैं, लेकिन इस साल दोनों ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया है। शिशुपाल ने कहा की, मेरे एक रिश्तेदार ने पिछले साल प्रायोगिक आधार पर एक बीघा भूखंड पर मुजफ्फरनगर में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। उनकी फसल अच्छी थी और उनकी आय लगभग दोगुनी हो गई। उन्होंने हमें पौधे दिए हैं और हम स्ट्रॉबेरी की खेती भी शुरू करने जा रहे हैं।
इस क्षेत्र के किसानों की एक बड़ी समस्या स्ट्रॉबेरी के पौधे की उपलब्धता की कमी है। किसानों के एक समूह ने हिमाचल प्रदेश से 2 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से पौधे खरीदे हैं। उन्होंने कहा, फल की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर, कई युवा अब महाबलेश्वर (महाराष्ट्र) और हिमाचल प्रदेश से पौधे लाने और उन्हें बेचने का व्यवसाय शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ पहले से ही बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की बिक्री की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं। गन्ना किसानों के लिए एक अतिरिक्त वरदान यह है कि पारंपरिक फसलों के साथ-साथ स्ट्रॉबेरी भी उगाई जा सकती है। स्ट्रॉबेरी को दिसंबर में बोया जाता है और मार्च तक फल देता है। फिर मार्च के बाद गन्ना बोया जा सकता है। इसके अलावा, स्ट्रॉबेरी तत्काल आय लाती है जबकि गन्ना किसानों को चीनी मिलों को अपने भुगतान को समाप्त करने के लिए अंतहीन इंतजार करना पड़ता है।