बरेली : जिले में गन्ने की कमी के चलते चीनी मिलों के सामने पूरी क्षमता से पेराई करने में दिक्कते आ रही है, और कई चीनी मिलों के पर तो ‘नो-केन’ का संकट मंडरा रहा है। अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, पिछले साल की बाढ़ में गन्ने की फसल काफी क्षतिग्रस्त होने से उत्पादन में गिरावट हुई है। इस वजह से मिलों को किसानों से गन्ना नहीं मिल पा रहा है। इस वर्ष चीनी मिलें फरवरी माह में ही बंद हो सकती हैं। स्थिति यह है कि इन दिनों चीनी मिलें तीन घंटे तक ही संचालित हो रही हैं।
बाढ़ जे साथ साथ गन्ने पर रेड रॉट बीमारी लगने से भी फसल खराब हुई है। वर्तमान में पांच चीनी मिले हैं। गत वर्ष 204 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी। लेकिन इस वर्ष अब तक सिफ 180 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई ही पाई है। स्थिति यह है कि 24 घंटे चलने वाली मिलें किसानों से गन्ना न मिलने के कारण कुल तीन घंटे ही संचालित हो रही हैं। हर वर्ष करीब 2.5 लाख किसान इन पांच चीनी मिल नवाबगंज की ओसवाल मिल, बहेड़ी की केसर इंटरप्राइजेज, मीरगंज की धामपुर, सीमा खेड़ा की सहकारी मिल और फरीदपुर की द्वारकेश मिल गन्ना लेकर पहुंचते हैं। जिले की अगर किसी मिल की क्षमता एक लाख क्विंटल गन्ना पेराई करने की है, तो वर्तमान में स्थिति यह हो गई है कि मिल को क्षमता का 50 प्रतिशत भी गन्ना नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से कई बार मिल को बंद रखना पड़ रहा है। जिला गन्ना अधिकारी यशपाल सिंह ने बताया कि इस वर्ष फसल बर्बाद होने की वजह से गन्ने का संकट आ गया है। जिसकी वजह से चीनी मिलों में गन्ना समाप्त हो गया है।