कुशीनगर: प्रदेश के कई जिलों में गन्ना फसल किट के चपेट में आ गई है। इससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। अगर किट पर काबू नही पाया गया तो उत्पादन पर असर हो सकता है। गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ सुबाश सिंह निर्देश पर संस्थान के पादप रोग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर वाईपी भारती और कीट वैज्ञानिक डा. विनय कुमार मिश्र की टीम ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के 22 चीनी मिल परिक्षेत्र में गन्ने के कीटों एवं रोगों का सर्वेक्षण का कार्य 6 जून से आरंभ किया है। यह सर्वेक्षण अक्टूबर के अंत तक पूरा होने का अनुमान है।
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा इस सर्वेक्षण के बाद किसानों को गन्ने से संबंधित रोग और उसके निवारण का उपाय बताया जाता है। वैज्ञानिक अधिकारी पादप डॉक्टर वाईपी भारती ने कहा कि, कुशीनगर में 96 हजार हेक्टेयर खेतों में गन्ना लगाया जाता है जबकि सेवरही में 23 हजार हेक्टेयर गन्ना लगाया जाता है। गन्ने के उत्पादन व चीनी परता में आ रही कमी को देखते हुए टीम ने सेवरही, रामकोला, ढाढा, कप्तानगंज, खड्डा, देवरिया जनपद के प्रतापपुर, महाराजगंज जनपद के सिसवा बाजार, गोरखपुर जनपद के पिपराइच, आजमगढ़ जनपद के सठियांव, मऊ जनपद के घोसी, बस्ती जनपद के मुंडेरवा रुधौली बभनान, बलरामपुर जनपद के बलरामपुर, तुलसीपुर, उतरौला, गोंडा जनपद के मनकापुर, कुन्दरखी अकबरपुर जनपद के मिझोडा, अयोध्या जनपद के मसौदा, रोजागांव व बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ सहित कुल 22 चीनी मिलों के परिक्षेत्र में सर्वेक्षण का कार्य कर रही है। कीट वैज्ञानिक डॉक्टर विनय मिश्र ने बताया कि जिस गन्ने में रोग लग जाए उसे खेत से बाहर निकाल दिया जाय तो रोगों को कुछ हद तक रोका जा सकता है।