लखनऊ: बकाया भुगतान में विफल उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के सामने अब रिकवरी में गिरावट की समस्या बनी हुई है। कोरोना काल में चीनी की कम खपत और ठप निर्यात से चीनी मिलों का प्रबंधन पहले से ही काफी परेशान हैं। अब चीनी रिकवरी में गिरावट समस्या उभरकर सामने आई है। मिलों का कहना है की रिकवरी में गिरावट से चीनी उत्पादन लागत में बढ़ोतरी होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मुख्य रूप से पूर्वी यूपी में बेमौसम बारिश और लाल सड़न (रेड डॉट) बीमारी की वजह से फसल की रिकवरी में गिरावट आई है। गन्ना विभाग के डेटा से पता चलता है कि, इस साल पेराई सत्र की शुरुआत में चीनी रिकवरी 2019-20 के 9.54% से घटकर 9.15% , और निजी मिलों की रिकवरी में भी 2019-20 के 9.57% की तुलना में 9.16% की गिरावट दर्ज की गई। यहां तक कि सहकारी चीनी मिलों ने भी रिकवरी में 9.06% से 8.82% तक की गिरावट दर्ज की।
कोरोनोवायरस संकट के बावजूद, वर्तमान पेराई सत्र में चीनी के उत्पादन में इस साल 15 नवंबर तक 3.8 लाख टन चीनी के उत्पादन का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 30% अधिक है।