रुद्रपुर : पिछले कुछ सालों में गन्ने में कीटों का आक्रमण बड़ी समस्या बनकर उभरी है।किसान इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे है।किसानों को इसमें चीनी मिलें और गन्ना विभाग का भी साथ मिल रहा है।गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के गन्ना वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह जीना ने किसानों को गन्ने की फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए अपने खेतों में दो से तीन अलग-अलग प्रजातियों को एक साथ बोने की सलाह दी है।डॉ. जीना शनिवार को गांव शांतिपुरी खमियां नंबर दो पंचायत सभागार में गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग किच्छा की ओर से आयोजित किसान सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि गन्ने में अधिक मात्रा में पाया जाने वाला लाल सडन रोग फसलों में प्राकृतिक बदलाव के अनुरूप असर करता है। इसकी रोकथाम के लिए एक मात्र कारगर उपाय है कि किसानों को एक साथ दो से तीन अलग-अलग प्रजातियों की बुवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को गन्ने की 13235, 14201, 15201, 16201 आदि लाभकारी प्रजातियों की जानकारी दी। वहीं 11015 घटिया एवं पुरानी प्रजाती को न लगाने की हिदायत दी।
गन्ना सचिव संजीव चौधरी ने गन्ना किसानों को पेड़ी प्रबंधन, पौधशाला एवं बीज भूमि उपचार तथा कृषक संपर्क मार्गों के निर्माण हेतु मिलने वाली अनुदान स्कीमों की जानकारी दी। सम्मेलन में किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, प्रगतिशील किसान प्रभु दत्त जोशी, भूपाल सिंह ठठोला आदि ने शांतिपुरी के तौल केन्द्रों से गन्ने की सप्लाई देरी से होने, तौल केन्द्र पर सप्लाई ठेकेदार द्वारा भरान के लिए अवैध वसूली करने, गन्ने की रोग रहित प्रजातियों को विकसित करने के कारगर कदम उठाने, फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे आवारा पशुओं की स्थाई व्यवस्था करने तथा गन्ना कृषक पोर्टल में फसल रोग एवं निदान तथा किसान सिकायत तथा सुझाव आदि सुविधाओं को ऐड करने की मांगें कृषि वैज्ञानिकों और उच्चाधिकारियों के सम्मुख प्रमुखता से उठाईं।