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बस्ती : चीनी मंडी
वाल्टरगंज चीनी मिल की डील अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है। दोनों पार्टियों (क्रेता-विक्रेता) के बीच एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) तो साइन हुआ पर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर बाकी है। कानूनी पहलू है कि जब तक एग्रीमेंट पर दोनों पक्ष के हस्ताक्षर नहीं हो जाते तब तक क्रेता को मालिकाना हक नहीं मिल सकता। न ही मिल चलाने का लाइसेंस ही फाइनल होगा। ऐसे में डीएम डॉ. राजशेखर ने एसडीएम सदर को निर्देशित कर दिया कि 16 अप्रैल से वाल्टरगंज चीनी मिल के अध्यासी, बोर्ड मेंबर एवं अन्य अधिकारियों की मौजूदा नवैयत पता करके गिरफ्तारी शुरू करें। वाल्टरगंज चीनी मिल अधिकारीयों की अब खैर नही है, उनकी कभी भी गिरफ्तारी होने की सम्भावना है।
डीएम कहा है कि, यदि मिल कर्मचारियों को लगता है कि उनके साथ मिल प्रबंधन धोखा कर रहा है तो 15 अप्रैल तक डीएम एवं संबंधित थाने में तहरीर दें। ताकि प्रबंधन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जा सके। 25 मार्च तक मिल चलाने का आश्वासन दिया गया था। समय सीमा बीतने के बाद फिर से वाल्टरगंज मिल परिसर में आंदोलन शुरू हो गया। हफ्ते भर चले आंदोलन को समाप्त कराने के लिए मंगलवार को डीएम के कैंप कार्यालय में सभी पक्षों की बैठक बुलाई गई। बकौल डीएम बैठक में मिल के डीजीएम एसएन शुक्ल और नए मालिक के प्रतिनिधि राकेश वर्मा ने स्पष्ट किया कि कानूनी तौर पर अभी मिल पुराने मालिकान के नाम है। लाइसेंस भी अभी ट्रांसफर नहीं हुआ है।
पेराई वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 का मिलाकर 54 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य और करीब सात करोड़ रुपये कर्मचारियों का वेतन-स्टाइपेंड बकाया है। चूंकि 2016 में ही मिल बंद होने लगी थी, इसलिए उस टाइम का गन्ना भी रुधौली मिल को भेजा गया था। इधर, चालू पेराई सत्र 2018-19 के लिए वाल्टरगंज मिल क्षेत्र का गन्ना रुधौली मिल को आवंटित किया गया है। कुल मिलाकर तीन सत्र का गन्ना मूल्य भुगतान रुधौली चीनी मिल के जिम्मे बकाया है। किसानों को संदेह है कि रुधौली मिल तीन सत्र का वाल्टरगंज मिल क्षेत्र के किसानों का पेमेंट नहीं कर पाएगी, जिससे उनके जीवन-यापन में मुश्किलें आएंगी। वाल्टरगंज मिल खरीदने वाली पंजाब के राजपुरा की लिविंग रेडियस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सोलर पॉवर प्रोजेक्ट पर काम करती रही है। प्रबंध निदेशक के प्रतिनिधि राकेश वर्मा के अनुसार चीनी उद्योग में यह उनका पहला कदम है और कंपनी ने पहली चीनी मिल खरीदी है।
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