पुणे : चीनीमंडी
चीनी श्रमिकों के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि, चीनी श्रमिकों के वेतन के लिए त्रिपक्षीय समिति का गठन और अन्य मांगों पर आम सहमति नहीं हुई तो आने वाले चीनी सीजन में मिलें शुरू नही होने देंगे।
राज्य में चीनी मिलों में काम करने वाले श्रमिकों ने वेतन और सेवा शर्तों की मांग को लेकर बुधवार को चीनी आयुक्त दफ्तर के सामने आंदोलन किया। आंदोलनकारियों द्वारा चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ को एक निवेदन प्रस्तुत किया गया। बोर्ड के अध्यक्ष तात्यासाहेब काले, महासचिव शंकरराव भोसले, सुभाष काकुस्तेे, रावसाहेब पाटिल, पी.के.मुंडे, अशोक बिराजदार, डी.बी. मोहिते, राजेंद्र तावरे, सुरेश मोहिते, नितिन बेनकर और अन्य उपस्थित थे।
काले ने कहा की, त्रिपक्षीय समिति 31 मार्च को समाप्त हो गई है। नई समिति गठित करने का निर्णय लंबित है। अगर 15 दिनों के भीतर समिति का गठन और अन्य मांगो को नहीं सुना जाता है तो हम चीनी मिलें शुरू होने नहीं देंगे। अगर सरकार चीनी श्रमिकों की समस्याओं को नजरअंदाज करती है, तो आगामी विधानसभा चुनावों में चीनी श्रमिक लगभग 70 से 80 निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखाएंगे।
…क्या है चीनी श्रमिकों की प्रमुख मांगे
काले ने कहा, वर्तमान स्थिति गंभीर है, क्योंकि मजदूरों को 2 से 10 महीने तक मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। हम नए वित्तीय वर्ष में मजदूरी में 40% की बढ़ोतरी की भी मांग कर रहे हैं। हाल ही में, काले और सचिव नितिन पवार के नेतृत्व में महासंघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ से मुलाकात की और मांगों का एक ज्ञापन सौंपा। श्रमिकों की अन्य मांगों में काम के घंटे के आधार पर अतिरिक्त वेतन, वेतन वृद्धि समझौते पर 5,000 रूपये तक मौसमी बढ़ोतरी, 50 रूपये की रात भत्ता, 400 रूपये का मासिक धुलाई भत्ता, 600 रूपये का मासिक चिकित्सा भत्ता, मासिक शिक्षा भत्ता 500 रूपये, महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व छुट्टियाँ शामिल है।
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