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नई दिल्ली, 07 जून: पूर्व केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगतिपथ पर अग्रसर है। वर्तमान सरकार देश के गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को बढ़ावा देने का काम कर रही है। पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश हित को आगे रखकर बीते पांच सालों में नीतियां बनायी और गन्ना किसानों का भला किया जबकि पू्र्ववती सरकारे जब जब सत्ता में आयी उन्होने धन्ना सेठों का ध्यान रखा। राधामोहन सिंह ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में 2013 में उन्होने 40 लाख मीट्रिक टन चीनी आयात की थी जिससे चीनी के रेट घटकर 2300 रूपये क्विटंल आ गए थे। तब किसान और चीनी उद्योग दोनो बर्बाद हो रहे थे। बाद में गन्ना किसानों ने आंदोलन तक किया। जबकि मोदी सरकार आने के बाद हमने चीनी पर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी । ताकि देश के किसान और चीनी उद्योग का नुकसान न हो।
राधा मोहन सिहं ने कहा कि हमारी सरकार ने गन्ना किसानों को 65 हजार करोड़ रूपयों का विशेष पैकेज दिया और उसमें शर्त ये रखी की जब चीनी मिले गन्ना का बकाया देने के लिए उनके खातों में 50 प्रतिशत राशि डालेगी तब सरकार उनके खातों में पूरी राशि डालेगी इससे मिलों ने गन्ना किसानों का हाथो हाथ बकाया दे दिया। इसी तरह 2016 में 48 लाख मीट्रिक टन गन्ना ज्यादा उत्पादन हुआ। गन्ना किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने हमसे मुलाकात की, हमने प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत कराया। तब सरकार ने बिना किसी के दबाव में गन्ना किसानों के हित में निर्णय लेते हुए तय किया कि बाजार में चीनी के रेट 3100 रुपये से कम नहीं होगे। ये सभी निर्णय किसानों के हित को ध्यान में रख कर लिए गए न कि किसी उद्योग को लाभ दिलाने के लिए।
राधामोहन सिंह ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जाएंगे जो दर्शाते है कि सरकार गन्ना किसान और चीनी उद्योग दोनों को समानान्तर मदद करती रही है ताकि गन्ने की खेती में नुकसान होने से किसानों की स्थिति खराब न हो और चीनी मिलें बंद न हो।
पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि जब जब जरूरत पडी है सरकार गन्ना किसानो और उद्योग के हित में फैसला लेने में पीछे नहीं हटी है। सरकार ने गन्ना किसानों को अच्छे दाम दिलाने के लिए चीनी पर 100 प्रतिशत आयात कर लगाया था ताकि बाहर से चीनी न आ पाए और देश के गन्ना किसान व चीनी उद्यमियों को नुकसान न हो।
सिंह ने कहा कि सरकार ने चीनी मिलों को आर्थिक मदद देकर उन्हे कर्जे से बाहर निकालने का काम किया है। इसके लिए 4500 करोड रूपयों को सोफ्ट लोन दिया। ताकि मिलें मंदी से उबरे और गन्ने से ऐथनॉल बनाकर आमदनी काम सके। सरकार की इस पहल का मकसद ये था कि गन्ना किसानों को जहां गन्ना अवशेष से अतिरिक्त आमदनी हो, मिलों को वित्तीय मदद मिले और और पर्यावरण को भी बचाया जा सके।
सरकार की पहल से गन्ना किसान तो बचे ही चीनी मिलों को भी आर्थिक लाभ हुआ और उन्होने गन्ना किसानो का बकाया समय पर चुकाया। गन्ने से ऐथनॉल निर्माण से आज देश में तेल आयात निर्भरता में कमी हुई है वहीं अर्थव्यवस्था मजबूत होने से विदेशी कर्ज में भी कमी आयी है।
राधामोहन सिहं ने कहा कि देश में तकरीबन 22 फीसदी किसान बीपीएल है। सरकार का प्रयास है कि इन सभी को घरेलू स्तर पर ही काम मिले और वो अपने आसपास ही रोजगार हासिल करे, इसलिये स्थानीय स्तर पर लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के अलावा बंद पडी चीनी मिलों को फिर से चालू किया जा रहा है । इससे किसान भी खुश है और चीनी कामगारों के साथ इस उद्योग से जुडे व्यवसायी भी । राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार चीनी मिलों के आधुनिकरण के लिए काम कर ही है ताकि गुणवत्तापूर्ण उत्पादन हो, किसानों के गन्ने का पूरा उपयोग हो और अच्छी तरह से प्रोसेस की हुई चीनी बाजार में अच्छे दामों पर बिके।