कोल्हापुर : चीनी मंडी
कोरोना वायरस के कारण चीनी उद्योग काफी जादा प्रभावित हुआ है, घरेलू और वैश्विक चीनी बिक्री में गिरावट के कारण मिलों के सामने राजस्व तरलता की गंभीर समस्या पैदा हुई है। जिसके कारण मिलें किसानों का बकाया भुगतान करने में भी नाकाम साबित हुई है। जिसके चलते चीनी मिलों की ओर से केंद्र सरकार से कुल नौ मांग की गई है। इन मांगो में लंबित निर्यात सब्सिडी का तत्काल भुगतान, सभी कर्जों का पुनर्गठन, वाणिज्यिक और घरेलू चीनी के लिए अलग-अलग दरें तय करना शामिल है। नैशनल फेडरेशन ऑफ को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के एमडी प्रकाश नाइकनवरे ने राज्य के सभी चीनी मिलों के कार्यकारी निदेशकों के साथ ऑनलाइन चर्चा में यह बाते साझा की।
कोरोना आपदा ने चीनी उद्योग को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है, और आगे आने वाले समय में भी चुनौतियां बनी रहेंगी। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया की, अगर हम इन चुनौतियों का सामना करने के लिए देश के सहकारी और निजी चीनी उद्योग एक साथ समन्वित तरीके से काम करते है, तो भविष्य में इस संकट से बाहर निकल सकते है। देश के सभी शीर्ष चीनी उद्योग संघठनों की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को एक आवेदन सौंपा गया है। जिसमे नौ मांगे की गई है।
1. केंद्र सरकार के चीनी निर्यात योजना में हिस्सा लेनेवाली मिलों का लगभग सात से आंठ हजार करोड निर्यात सब्सिडी भुगतान लंबित हैै। पिछले कई दिनों से दस्तावेजों का निपटारा किया जा रहा है, लेकिन मिलों को देय राशि अभी तक नही मिली है। अगर देय राशि का भुगतान किया जाता है, तभी अगले सीजन में मिलों द्वारा समय पर पेराई सीजन शुरू होना संभव हैै।
2. मिलों के सभी प्रकार के कर्ज का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और उन्हे ब्याज रियायतों के साथ कार्यकाल में वृध्दि करनी चाहिए। इसके अलावा, इस सीजन के लिए एक सॉफ्ट लोन स्कीम को मंजुरी दी जानी चाहिए।
3. गन्ना किसानों के लंबित गन्ना बकाया भुगतान के लिए यह सहायता राशि केंद्र सरकार द्वारा सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा की जानी चाहिए।
4. चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) प्रति क्विंटल 3100 रूपयों से बढाकर 3450 रूपये किया जाना चाहिए।
5. बैंक गारंटी के तौर पर उसके पास गिरवी चीनी या अन्य किसी संपत्ती के कुल लोन के 15 प्रतिशत अपने पास रखता है। उसे 5 प्रतिशत तक लाना चाहिए, ताकि लोन में 10 प्रतिशत ज्यादा रकम मिलों को मिले।
6.चीनी की नई किमत तय करते समय ग्रेड के अनुसार बिक्री मूल्य तय किया जाना चाहिए। इसमें प्रति किलोग्राम कम से कम डेढ से दो रूपयों का अंतर होना चाहिए।
7. देश के कुल चीनी उपभोग में लगभग 65 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्र का है, और घरेलू चीनी इस्तेमाल केवल 35 प्रतिशत है। इसलिए औद्योगिक क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली चीनी का दर ज्यादा रखना चाहिए। केंद्र सरकार भी इस प्रस्ताव के पक्ष में है। इसका कार्यान्वयन सबसे कठिन काम है। इस पर विचार किया जाना चाहिए की।
8.2020-2021 सीजन में 300 लाख मिट्रीक टन संभावित चीनी उत्पादन को ध्यान में रखते हुए, 50 लाख टनी चीनी निर्यात योजना और 40 लाख टन आरक्षित चीनी योजना को आगे के साल के लिए भी जारी रखना चाहिए।
9. इथेनॉल निती और उसके दरों को अगले पांच साल तक स्थीर रखा जाना चाहिए।