जालंधर (पंजाब): चीनी मिल से गन्ना भुगतान नहीं मिलने पर परेशान भोगपुर जिले के किसान अब गन्ने की खेती नहीं करना चाहते। किसानों का कहना है कि उन्हें धान और गेहूं के मुकाबले गन्ने की खेती ज्यादा फायदेमंद लगी थी, लेकिन दो साल से गन्ने का भुगतान नहीं मिलने के कारण अब यह उनके लिए जी का जंजाल बन गई है।
बता दें कि जिले के अधिकांश किसान आजीविका के लिए पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर है तथा इनमें से कई बीते सालों में गन्ना ही उगाते रहे, लेकिन दो सालों से गन्ने का पूरा भुगतान नहीं मिलने से अब इसकी खेती वे बंद करने की सोच रहे हैं। यहां के विभिन्न गांवों के किसानों को 2018-19 और 2019-20 सीजन के बकाये का पूरा भुगतान अब तक नहीं मिला है। इससे परेशान किसानों ने कहा कि गन्ने की खेती उन्हें कोई फायदा नहीं दे रही। भोगपुर के एक किसान ने बताया कि वे हर साल करीब 10,000 क्विंटल गन्ना उगाते हैं तथा उनका निजी और सहकारी मिलों पर कुल 4 लाख रुपये बकाया हैं। इसलिए इस बार उन्होंने कम गन्ना बोया है। इसी तरह कई और किसानों ने भी इस सीजन में कम गन्ने की बुवाई करने की बात कही। किसानों ने कहा कि राज्य की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर गन्ना किसानों को भुगतान की समस्या से शीघ्र निजात दिलानी चाहिए।
उन्होंने सरकार पर गन्ना किसानों से किए वायदों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मिलों से बकाया राशि नहीं मिलने के कारण उनके पास अपनी रोजाना की जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।
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