WISMA का महाराष्ट्र के चीनी उद्योग को ऊर्जा केंद्र में बदलने का लक्ष्य : बी. बी. ठोंबरे

पुणे: महाराष्ट्र की 133 निजी चीनी मिलों का शीर्ष निकाय वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA ) की 31 अगस्त, 2024 को पुणे में आयोजित वार्षिक आम बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार, 2024-2027 तक की अवधि के लिए कार्यकारी समिति के सदस्यों को सर्वसम्मति से चुना गया। जबकि, शनिवार, 14 सितंबर, 2024 को वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) की नवनिर्वाचित कार्यकारी बोर्ड की बैठक में बी. बी. ठोंबरे को अध्यक्ष, विधायक रोहित पवार को उपाध्यक्ष और पांडुरंग राउत को महासचिव के रूप में चुना गया। चुनाव अधिकारी, ‘विस्मा’ के कार्यकारी निदेशक अजीत चौगुले ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी। साथ ही, चीनी उद्योग के विशेषज्ञों के मानद सदस्य के रूप में पूर्व चीनी आयुक्त और ‘यशदा’ के अतिरिक्त महानिदेशक शेखर गायकवाड़ और श्री रेणुका शुगर्स लि. (नई दिल्ली) कार्यकारी निदेशक रवि गुप्ता का चयन किया गया है।

कार्यकारी समिति के सदस्य इस प्रकार हैं: 1) बी. बी. ठोंबरे (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, नेचुरल शुगर एंड एलाइड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिला यवतमाल), 2) विधायक रोहित पवार (मुख्य कार्यकारी अधिकारी बारामती एग्रो लिमिटेड, जिला पुणे), 3) डॉ. पांडुरंग राऊत (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, श्रीनाथ म्हस्कोबा शुगर फैक्ट्री लिमिटेड, जिला पुणे), 4) सांसद बजरंग सोनवणे, (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, येडेश्वरी एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड, जिला बीड), 5) महेश देशमुख (अध्यक्ष, लोकमंगल उद्योग समूह, जिला सोलापुर), 6) रणजीत मुळे (कार्यकारी निदेशक, गगामाई इंडस्ट्रीज एंड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, जिला अहमदनगर), 7) यशवर्धन डहाके (अध्यक्ष, पराग एग्रो फूड्स एंड अलाइड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, जिला पुणे) 8) श्रीमती गौरवी भोसले (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, जागृति शुगर एंड अलाइड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिला लातूर), 9) योगेश पाटील (कार्यकारी निदेशक, अथनी शुगर्स लिमिटेड, जिला सतारा) 10) राहुल घाटगे (कार्यकारी निदेशक, श्री गुरुदत्त शुगर्स लिमिटेड, जिला कोल्हापुर), 11) रोहित नारा (निदेशक, सदगुरु श्री शुगर फैक्ट्री लिमिटेड, जिला सांगली)

‘विस्मा’ के फिर एक बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद बी. बी. ठोंबरे ने ‘चीनीमंडी’ से बातचीत में कहा की, ‘विस्मा’ने हमेशा से ही चीनी उद्योग के विकास के लिए हर मुमकिन प्रयास किया है, और आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा। मैं महाराष्ट्र के निजी चीनी क्षेत्र का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे तीसरी बार अध्यक्ष चुना। अगले तीन वर्षों के लिए मेरा मुख्य उद्देश्य चीनी उद्योग को ऊर्जा केंद्र में बदलना है, और हम एथेनॉल, बायो सीएनजी, ग्रीन हाइड्रोजन और टिकाऊ विमानन ईंधन का उत्पादन करने के लिए नवीनतम तकनीक और नए नवाचारों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।

पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार गन्ना उत्पादन की लागत के आधार पर गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) बढ़ा रही है, लेकिन चीनी का MSP (एमएसपी) नहीं बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा, चीनी का एमएसपी फिलहाल 3100 रुपये प्रति क्विंटल ही है। हालांकि, अब चीनी की उत्पादन लागत औसतन 4100 से 4200 रुपये तक पहुंच गई है। इससे चीनी उद्योग को भारी आर्थिक झटका लग रहा है। इसलिए, ‘विस्मा’ के माध्यम से केंद्र सरकार से चीनी एमएसपी में वृद्धि की मांग की जाएगी। ठोंबरे ने आगे कहा की, एथेनॉल की खरीद दर में वृद्धि के साथ-साथ चीनी के निर्यात को बढ़ावा देना जरूरी है। चीनी मिलों के प्रबंधन, उत्पादन लागत और वास्तविक बिक्री से प्राप्त राजस्व के बीच विसंगति के कारण कई चीनी मिलें घाटे में चली गई हैं। उन्होंने कहा, यदि चीनी उद्योग को आर्थिक संकट से उबरना है तो केंद्र सरकार को चीनी का औसत बिक्री मूल्य 4,200 रुपये प्रति क्विंटल पर लाना चाहिए। चीनी के निर्यात को हर साल स्थायी रूप से अनुमति देने की मांग की जाएगी।

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