कुंदापुर (कर्नाटका ) : ब्रह्मवार चीनी मिल के बंद होने से, मिल पर निर्भर हजारों किसान निराश हो गए थे। गन्ने की खेती करने वाले किसान संकट में थे, लेकिन, अब किसानों को चीनी के बजाय गुड़ का विकल्प मिल गया है। जब ब्रह्मवार चीनी मिल फिर से शुरू होने में विफल रही, तो उडुपी जिला रयथ संघ के सदस्य उमेश शेट्टी, जिन्होंने अपनी 8 एकड़ जमीन पर गन्ने की खेती की थी, उन्होंने गुड़ उत्पादन का फैसला किया। उन्होंने शनाडी में 5.5 लाख रुपये की अनुमानित लागत पर ‘अलेमाना ’(गुड़ बनाने की इकाई) का निर्माण किया। किसान रामचंद्र भट ने न केवल शेट्टी का समर्थन किया, बल्कि गुड़ के उत्पादन में भी उनकी मदद की।
शेट्टी सप्ताह में पाँच दिन अपने द्वारा उत्पादित गन्ने की पेराई करते हैं, भाट शेष दो दिनों में गन्ने की पेराई करते है। हर दिन कम से कम 10 से 12 पेटी गुड़ तैयार किया जाता है। शेट्टी ने कहा, इस स्तर पर लाभ की उम्मीद करना मुश्किल है। हमने खेत में तैयार गन्ने की खड़ी फसल को देखकर यह पहल शुरू की है। गन्ने के रस को किसी भी रसायनों का उपयोग किए बिना संसाधित किया जाता है, ताकि अशुद्धियों को दूर किया जा सके और गुणवत्ता वाले गुड़ का उत्पादन किया जाए। कुंदापुर एपीएमसी के अध्यक्ष शरथ कुमार शेट्टी ने कुंदापुर में साप्ताहिक बाजार में गुड़ के बिक्री की व्यवस्था करने का वादा किया है। उडुपी जिला रयथ संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने अलेमाना का दौरा किया जहां गुड़ का उत्पादन किया जाता है।
ब्रह्मवार चीनी मिल बंद होने से गन्ना किसानों को मिला गुड़ का विकल्प यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.