नई दिल्ली: विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) के नए फैसले के बावजूद भारत इस साल वैश्विक बाजार में 6 मिलियन टन से अधिक चीनी बेच सकता है। विश्व व्यापार संगठन के एक पैनल ने मंगलवार को भारत के साथ चीनी सब्सिडी को लेकर व्यापार विवाद में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के पक्ष में फैसला सुनाया और भारत को वैश्विक नियमों के अनुरूप व्यापार करने की सलाह दी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, सरकार द्वारा अभी चीनी के लिए कोई निर्यात सब्सिडी नहीं दी जा रही है और इसलिए भारतीय चीनी निर्यात के संबंध में डब्ल्यूटीओ पैनल के आदेश का चीनी निर्यात पे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मौजूदा 2021-22 विपणन वर्ष के लिए भारत ने निर्यात सब्सिडी को हटा दिया है। सब्सिडी के चलते भारतीय मिलों को 2020-21 सीजन में 7.2 मिलियन टन चीनी का रिकॉर्ड निर्यात करने में मदद मिली। ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने कहा कि, भारत ने चीनी और गन्ने के लिए अत्यधिक घरेलू समर्थन और निर्यात सब्सिडी प्रदान करके विश्व व्यापार संगठन के नियमों को तोड़ा है। वर्मा ने व्यापार संगठन के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन के फैसले के खिलाफ अपील करेगा, लेकिन अंतिम फैसले तक अपनी मौजूदा नीतियों को जारी रख सकता है।
रायटर्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि भारतीय चीनी मिलें इस साल 35 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए पहले ही अनुबंधित हैं और साल के अंत तक 60 लाख टन से अधिक का निर्यात कर सकती हैं।
आपको बता दे, भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है की उनके द्वारा की गयी सहायता WTO के किसी भी कानून का उलंघन नहीं करती।