चीनी सब्सिडी मामला: ‘डब्ल्यूटीओ’ पैनल की रिपोर्ट 2021 से पहले आने की संभावना कम…

चीनी सब्सिडी मामला : ‘डब्ल्यूटीओ’ पैनल की रिपोर्ट 2021 से पहले आने की संभावना कम…

नई दिल्ली : चीनी मंडी

चीनी सब्सिडी मामले में 2019 में, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत को विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र में घसीटा है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया कि, भारत द्वारा गन्ना किसानों और उद्योग को दी जा रही सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के साथ असंगत है। ‘डब्ल्यूटीओ’ ने कहा की, इस मामले की जटिल प्रक्रिया के कारण, विवाद निपटारा पैनल 2021 की दूसरी तिमाही से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना नहीं है। ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, उसकी अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत के खिलाफ ‘डब्ल्यूटीओ’ का दरवाजा खटखटाया था।

चीनी और गन्ने से संबंधित भारत के उपायों पर 15 अगस्त, 2019 को विवाद निपटान निकाय द्वारा पैनल स्थापित किया गया था। मानदंडों के अनुसार, जब कोई पैनल यह मानता है कि वह छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट जारी नहीं कर सकता है, तो यह विवाद निपटान निकाय को लिखित रूप से सूचित करेगा और कारणों को इंगित करेगा।

चीनी उद्योग के लिए भारत के समर्थन उपायों की समीक्षा के लिए ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला द्वारा अनुरोध के बाद पैनल की स्थापना की गई थी। भारत ने स्पष्ट किया है कि, चीनी उद्योग के लिए लागू किया गये उपाय विश्व व्यापार संगठन के दायित्वों के अनुरूप थे। इसमें कहा गया है कि, उपायों का उद्देश्य देश में 3.5 करोंड कमजोर, गरीब किसानों को शोषण से बचना है। दूसरी ओर ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने चिंता व्यक्त की थी कि, भारत का चीनी उद्योग का समर्थन ‘डब्ल्यूटीओ’ के कृषि समझौते के तहत नही है, और इससे अन्य देशों के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नही, उन्होंने आरोप लगाया था कि, वैश्विक बाजार की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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