भारतीय चीनी उद्योग कृषि-आधारित एक महत्वपूर्ण उद्योग है जो लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों और चीनी कारखानों में सीधे कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों की ग्रामीण आजीविका को प्रभावित करता है। परिवहन, व्यापार मशीनरी की सर्विसिंग और कृषि आदानों की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भी रोजगार उत्पन्न होता है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। आज, भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है।
चीनी सीजन 2022-23 में देश में 534 चीनी मिलें चालू थीं। गन्ने का औसत वार्षिक उत्पादन अब लगभग 5000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक बढ़ गया है, जिसका उपयोग एथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 43 एलएमटी चीनी को हटाने के बाद लगभग 330 एलएमटी चीनी का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। लगभग 280 एलएमटी चीनी की घरेलू खपत को पूरा करने के बाद, चीनी सीजन 2022-23 के दौरान 63 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया।
सरकार द्वारा उठाए गए किसान-समर्थक उपायों के परिणामस्वरूप, पिछले चीनी सीज़न का लगभग 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया चुका दिया गया है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ना बकाया 1,14,494 करोड़ रुपये के सापेक्ष, लगभग 1,12,829 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और केवल 1,665 करोड़ रुपये बकाया चुकाना है। इस प्रकार, किसानों को 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है।
ii. संपत्ति का मुद्रीकरण-
• केंद्रीय पूल स्टॉक/सीएपी चरण समाप्ति के लिए राज्यों द्वारा परिसंपत्ति का मुद्रीकरण:
चरण-1 में पंजाब (9 एलएमटी) और हरियाणा (4 एलएमटी) में 13 एलएमटी का निर्माण करने की योजना है। पंजाब (पनग्रेन) और हरियाणा (हैफेड) में संबंधित नोडल एजेंसियों द्वारा निविदाएं जारी की गई हैं।
• केपीएमजी रिपोर्ट/एफसीआई रिक्त भूमि के अनुसार एफसीआई परिसंपत्तियों का आधुनिकीकरण और मुद्रीकरण:
श्रेणी ए: ऐसी संपत्तियां जहां भूमि उपलब्ध है और उस इलाके में भंडारण की कमी है, तो पीएमएस के तहत 21 स्थानों पर 4.32 एलएमटी और गैर पीएमएस के अंतर्गत 48 स्थानों पर 2.80 एलएमटी के लिए भंडारण क्षमता बनाई जाएगी।
• श्रेणी बी: ऐसी संपत्तियां जहां भूमि उपलब्ध है, लेकिन भंडारण की कोई कमी नहीं है
• श्रेणी सी: उच्च मुद्रीकरण मूल्य के साथ शहरी क्षेत्रों में स्थित संपत्ति
• श्रेणी डी: रेलवे की मौजूदा बुनियादी ढांचे वाली संपत्ति
• सीडब्ल्यूसी को 29 स्थानों की पेशकश की गई है जिसके लिए सीडब्ल्यूसी ने निविदाएं जारी की हैं।
iii. डब्लूडीआरए प्रमाणन- गोदामों को मानकीकृत करने के लिए वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी से एफसीआई के स्वामित्व वाले सभी 557 गोदामों का प्रमाणीकरण लेने का निर्णय लिया गया। 552 एफसीआई डिपो को डब्लूडीआरए ने प्रमाणित कर दिया है। 2 मामलों में इंजीनियरिंग मरम्मत चल रही है। 3 गोदामों को अस्वीकृत कर दिया गया है जिन्हें परिसंपत्ति मुद्रीकरण के तहत लिया जाएगा।
iv. मॉडल टेंडर फॉर्म को जीईएम के अनुरूप बनाया गया – सभी फील्ड कार्यालय 11.04.2023 से जीईएम पोर्टल पर संबंधित ‘पंजीकृत सेवा श्रेणी’ के माध्यम से हैंडलिंग और परिवहन अनुबंध तथा सड़क परिवहन अनुबंध निविदाएं जारी कर रहे हैं। प्रासंगिक मॉड्यूल की बेहतर समझ के लिए एफसीआई जोनल और रीजनल कार्यालयों के साथ-साथ संभावित बोलीदाताओं के लिए जीईएम के समन्वय से प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं। अब एफसीआई टीसी/आरटीसी/एचटीसी निविदाएं जीईएम के अनुरूप हैं।
साइलो (बड़ा भंडारण पात्र): खाद्यान्नों का वैज्ञानिक भंडारण
1. भंडारण क्षमता में वृद्धि और उन्नयन/आधुनिकीकरण के लिए भारत सरकार ने पीपीपी मोड के तहत देश भर में 100 एलएमटी साइलो के निर्माण के लिए कार्य योजना को मंजूरी दे दी है। 100 एलएमटी में से 29 एलएमटी क्षमता वाले साइलो (बड़ा भंडारण पात्र) का निर्माण पीपीपी मोड के तहत एफसीआई द्वारा, 2.5 एलएमटी सीडब्ल्यूसी द्वारा और 68.5 एलएमटी क्षमता वाले साइलो का निर्माण राज्य सरकार द्वारा किया जाना था। इनमें से 29 स्थानों पर 14.75 एलएमटी क्षमता वाले साइलो का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और उनका उपयोग हो रहा है, वहीं 18 स्थानों पर 9.00 एलएमटी क्षमता कार्यान्वयन के अधीन है। इसके अलावा, 2007-09 में सर्किट मॉडल के तहत 7 स्थानों पर 5.50 एलएमटी की साइलो क्षमता बनाई गई थी, जिसका भी उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार पूरी की गई और उपयोग में लाई गई कुल साइलो क्षमता 20.25 एलएमटी है। इनमें से अधिकांश साइलो रेलवे साइडिंग के पास हैं।
2. साइलो का हब और स्पोक मॉडल: साइलो के विकास को और बढ़ाने के लिए एफसीआई ने देश भर में चरणबद्ध तरीके से 249 स्थानों पर 111.125 एलएमटी साइलो के निर्माण की रूपरेखा तैयार की है, जिनमें से अधिकांश सड़क किनारे होंगे और हब एवं स्पोक मॉडल पर काम करेंगे। यह अनुमान लगाया गया है कि हब एवं स्पोक मॉडल कुशल होगा और रेल साइडिंग साइलो के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं नहीं होंगी। हब एवं स्पोक मॉडल के पहले चरण में 80 स्थानों पर 34.875 एलएमटी क्षमता के साइलो का निर्माण करने की योजना है, जिसमें से 14 स्थानों पर 10.125 एलएमटी क्षमता डीबीएफओटी मोड (एफसीआई की अपनी भूमि) के तहत और 66 स्थानों पर 24.75 एलएमटी क्षमता डीबीएफओओ मोड के अंतर्गत बनाई जाएगी। चरण-I स्थानों के लिए निविदाएं प्रदान कर दी गई हैं। चरण-2 के लिए 18 बंडलों/परियोजनाओं में डीबीएफओओ मोड के तहत 66 स्थानों पर 30.75 एलएमटी साइलो के लिए निविदाएं 05.05.2023 को जारी की गई हैं। इसके लिए बोलियां 21.09.2023 को खोली गई और वर्तमान में इनका तकनीकी मूल्यांकन चल रहा हैं।
भंडारण गोदामों के निर्माण के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना
विभाग कुछ अन्य राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देते हुए गोदामों के निर्माण के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (पूर्व प्लान योजना) शुरू कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत केंद्रीय क्षेत्र योजना (2017-20) के तहत भूमि अधिग्रहण और खाद्य भंडारण गोदामों और रेलवे साइडिंग, विद्युतीकरण, वेब्रिज की स्थापना आदि जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इक्विटी के रूप में एफसीआई को सीधे धनराशि जारी की जाती है। केन्द्रीय क्षेत्र योजना (2017-20) को 31.03.2025 तक बढ़ा दिया गया है। इसके तहत पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 1,05,890 एमटी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के बाहर 56,690 एमटी की कुल क्षमता को 419.99 करोड़ रुपये (पूर्वोत्तर के लिए 315.41 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर के अलावा अन्य के लिए 104.58 करोड़ रुपये) के वित्तीय परिव्यय के साथ पूरा करने की मंजूरी दी गई है। इस राशि को बढ़ाकर 484.08 करोड़ रुपये (पूर्वोत्तर के लिए 379.50 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर के अलावा अन्य के लिए 104.58 करोड़ रुपये) कर दिया गया है। सीएसएस के अंतर्गत एफसीआई ने 01.04.2017 से 30.11.2023 तक कुल 77,650 एमटी (पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 56,430 एमटी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अलावा 21,220 एमटी) की क्षमता बनाई है। इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 5 कार्य (49,460 एमटी) हैं जिन पर अभी काम चल रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अलावा, कुल 4 कार्य (33,540 एमटी) प्रगति पर हैं।
चीनी क्षेत्र
भारतीय चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है जिससे लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों तथा चीनी कारखानों में काम कर रहे लगभग 5 लाख श्रमिकों की ग्रामीण आजीविका चलती है। माल ढुलाई, व्यापार मशीनरी की सर्विसिंग और कृषि संबंधी वस्तुओं की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भी रोजगार उत्पन्न होता है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता भी है। आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है।
चीनी सीजन 2022-23 में देश में 534 चीनी मिलें चालू थीं। गन्ने का औसत वार्षिक उत्पादन अब लगभग 5000 लाख एमटी तक बढ़ गया है। इसमें से एथेनॉल उत्पादन के लिए 43 एलएमटी चीनी के लिए जरूरी गन्ने को छोड़कर लगभग 330 एलएमटी चीनी का उत्पादन किया जाता है। लगभग 280 एलएमटी चीनी की घरेलू खपत को पूरा करने के बाद चीनी सीजन 2022-23 के दौरान 63 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया।
सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए उपायों के परिणामस्वरूप पिछले चीनी सीज़न का लगभग 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया चुका दिया गया है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए 1,14,494 करोड़ रुपये के गन्ना बकाया के सापेक्ष लगभग 1,12,829 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है और केवल 1,665 करोड़ रुपये बकाया चुकाना है। इस प्रकार, किसानों को 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है।
एथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम
एथेनोल एक कृषि-आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में पेट्रोल के साथ मिश्रण और हैंड सैनिटाइज़र के निर्माण सहित कई अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए किया जाता है। इसका उत्पादन चीनी उद्योग के उप-उत्पाद, अर्थात् गुड़ और स्टार्चयुक्त खाद्यान्न से किया जाता है। गन्ने के अधिशेष उत्पादन के वर्षों में, जब कीमतें कम होती हैं, तो चीनी उद्योग किसानों को गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान करने और अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने और चीनी मिलों की मदद करके उनकी नकदी प्रवाह में सुधार करने में असमर्थ होता है। समय पर गन्ने का बकाया चुकाने के लिए, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को एथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत सरकार पूरे देश में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं। ईबीपी कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय किया है।
वर्ष 2014 तक गुड़ आधारित भट्टियों की एथेनॉल डिस्टिलरीज क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में ओएमसी को एथेनॉल की आपूर्ति केवल 1.53 प्रतिशत के मिश्रण स्तर के साथ केवल 38 करोड़ लीटर थी। हालाँकि, पिछले 9 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण गुड़ आधारित डिस्टिलरीज की क्षमता बढ़कर 875 करोड़ लीटर हो गई है। अनाज आधारित भट्टियों की क्षमता बढ़कर 505 करोड़ लीटर हो गई है।
एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-अक्टूबर) 2022-23 के दौरान, 12 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया था, जिसके लिए पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए लगभग 502 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की गई थी। देश में एथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (30.11.2023 तक) बढ़कर 1380 करोड़ लीटर (505 करोड़ लीटर अनाज आधारित और 875 करोड़ लीटर गुड़ आधारित भट्टियां) हो गई है। पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रित (ईबीपी) कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन से विभिन्न पहलुओं में कई लाभ हुए हैं:
● एथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों के लिए बेहतर नकदी प्रवाह हुआ है जिसके परिणामस्वरूप गन्ना किसानों को शीघ्र भुगतान हुआ है। पिछले 10 वर्षों (2014-15 से 2022-23) में, चीनी मिलों ने एथेनॉल की बिक्री से 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया है, जिससे चीनी मिलों की आय में वृद्धि हुई है।
● एथेनॉल के उत्पादन ने आयातित पेट्रोल या कच्चे तेल की जगह ले ली है जिसके परिणामस्वरूप भारत के लिए विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। वर्ष 2022-23 में, लगभग 502 करोड़ लीटर एथेनॉल के उत्पादन के साथ, भारत ने लगभग 24,300 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाई है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार हुआ है।
● भारत सरकार ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन में कमी के संबंध में अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से कार्बन मोनो ऑक्साइड का उत्सर्जन लगभग 30-50 प्रतिशत और अन्य हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन लगभग 20 प्रतिशत कम हो गया। वास्तव में, परिवहन में एथेनॉल का बढ़ता उपयोग भारतीय परिवहन क्षेत्र को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बना देगा।
● इस प्रभावी सरकारी नीति के परिणामस्वरूप, 40,000/- करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के अवसर सामने आए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिस्टिलरीज की स्थापना हुई और उन क्षेत्रों में लगभग 60,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन में योगदान हुआ। आशा है कि वर्ष 2025-26 तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के रूप में एक लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
चीनी क्षेत्र में डिजिटलीकरण
व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने, पारदर्शिता लाने और चीनी मिलों को सुविधा प्रदान करने के लिए, डीएफपीडी ने इन्वेस्ट इंडिया के सहयोग से डीएसवीओ की विभिन्न नियमित गतिविधियों को स्वचालित किया है। पूरे सिस्टम का पूर्ण और एकीकृत डिजिटलीकरण करने के साथ-साथ चीनी मिलों और एथेनॉल उद्योग के सभी प्रासंगिक डेटा को एक ही स्थान पर रखने के लिए, एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर एक समर्पित पोर्टल विकसित किया गया है।
एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर अब तक की प्रगति: Progress so far on NSWS portal:
● सभी चीनी मिलों को एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।
● एमआईएस प्रारूप एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर विकसित किया गया है।
● चीनी मिलों ने एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर डाटा भरना शुरू कर दिया है।
● एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल से सभी चीनी मिलों के लिए मासिक रिलीज का डेटा लिया जा रहा है।
● चीनी मिलों द्वारा भरे गए प्रपत्रों तक पहुंचने और एमआईएस रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जा रही है।
(Source: PIB)