लखनऊ : चीनी मंडी
बंपर गन्ना की फसल और फिसलती चीनी की कीमतों के बीच चीनी उद्योग को सवांरने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कुछ अच्छे कदम उठा रही है, इसके तहत राज्य में एक बार ‘खांदेशरी’ (अपरिष्कृत/कच्ची चीनी) क्षेत्र को फिर से विकसित कर रही है।2018-19 क्रशिंग सीज़न से पहले 50 खांडसरी को लाइसेंस देने का लक्ष्य योगी सरकार ने तय किया है।
2017-18 में केवल 161 खांडसरी शुरू
खांडसरी से कच्ची चीनी का निर्माण किया जाता है। इसमें उत्पादित होने वाली चीनी आरोग्य के लिए स्वस्थ होती है। एक समय ऐसा था जब उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लगभग 5,000 खांडसरी इकाइयां चल रही थीं। हालांकि, 2017-18 के दौरान कुल 1,078 लाइसेंस प्राप्त खांडसरी में से केवल 161 शुरू थी।
रेडियल दूरी 15 किमी से 8 किमी तक की कम
योगी आदित्यनाथ सरकार ने नौकरी निर्माण के हेतु इन ग्रामीण-आधारित खांडसरी इकाइयों को प्रोत्साहित करने और गन्ना किसानों के लिए विकल्प देने के लिए नीति में संशोधन किया है, जिससे नए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए निकटतम चीनी मिल से रेडियल दूरी 15 किमी से 8 किमी तक की कम की गई । इस कदम का उद्देश्य घरेलू चीनी चक्र की उतार-चढ़ाव प्रकृति से किसानों को राहत देना और ग्रामीण आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना था। पिछले सीजन में, सभी 161 खांडसरी इकाइयों ने यूपी की 119 चीनी मिलों द्वारा 111 लाख मेट्रिक टन से अधिक गन्ना क्रशिंग के मुकाबले लगभग 4.32 मिलियन टन (मीट्रिक टन) गन्ना क्रशिंग किया था।
अभी तक किये 16 लाइसेंस जारी
राज्य सरकार ने पहले से ही नए खांडसरी संयंत्रों के लिए 16 लाइसेंस जारी किए हैं, जबकि आठ से अधिक खांडसरी को लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया चल रही हैं। यह सब इकाइयां मोरादाबाद, मेरठ, बरेली, शामली, सीतापुर, रामपुर, लखीमपुर खेरी, गाजियाबाद, बागपत और कानपुर देहाट जिलों में प्रस्तावित है।
सभी 16 नए खांडसरी संयंत्रों की गन्ना क्रशिंग की क्षमता प्रति दिन 5,300 टन है (टीसीडी), जो समान स्थापित क्षमता की एक पूर्ण चीनी मिल से मेल खाती है। खांडसरी से उत्पादित चीनी की प्रमुख मांग ग्रामीण परिवार और स्थानीय कन्फेक्शनरी, मिठाई में स्वीटनर के लिए होती है।