हरियाणा में गन्ने की खेती को लाभकारी बनाने के लिए जीरो बजट फार्मिंग को दिया जाएगा बढावा

पंचकूला, 24 दिसम्बर: हरियाणा सरकार प्रदेश के किसानों की आमदनी को दो गुना करने के साथ कम लागत में अधिक उत्पादन दिलाने की तकनीकों पर काम कर रही है। प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार प्रदेश के किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफ़ा दिलाने के लिए प्राकृतिक खेती करने पर ध्यान दे रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में गन्ने की खेती काफ़ी तादाद में होती है। अभी गन्ना पैराई सत्र चल रहा है। अगले सत्र से हमारा प्रयास होगा कि गन्ने की खेती में ज़ीरो बजट फ़ार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाए। इससे जैविक गन्ना उत्पादन का चलन प्रदेश में बढ़ेगा और प्राकृतिक तरीक़ों की तरफ़ किसान आकर्षित होंगे।

प्रदेश के रोहतक, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, करनाल, साहाबाद, ज़िन्द, पलवल, मेहम, कैथल और दोहाना जैसे इलाक़ों में जहां गन्ना बहुतायत में होता है वहाँ ब्लॉक स्तर पर किसानों में जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि वर्तमान में गन्ने की खेती में लागत अधिक आ रही है। खाज, बीज और सिंचाई के अलावा रसायन और कीटनाशकों का खर्चा अधिक पड़ रहा है। जिससे गन्ना किसानों को लाभ के बजाय कुल खर्चा निकालने के बाद हानि ही हो रही है। किसानों की इस समस्या के निवारण के लिए प्राकृतिक कृषि पद्धतियाँ अपनाना समय की ज़रूरत बन गयी है जिसे हम बढ़ावा देगें।

गन्ने में जीरो बजट प्राकृतिक खेती के मसले पर बात करते हुए हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनकड ने कहा कि बीते साल जब मैं कृषि मंत्री था तो मैंने इस आइडिया पर काम करते हुए जैविक गन्ने की खेती को बढ़ावा देने का अभियान चलाया था। इसके लिये पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के सहयोग से प्रदेश को जैविक खेती का हब बनाने के लिए केन्द्र सरकार से वित्तीय राशि भी आवंटित करवायी थी। धनकड ने कहा कि हमने प्रदेश में 50 -50 एकड़ के समूह बनाकर किसानों को जैविक गन्ने की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया था। प्राकृतिक कृषि पद्दतियो को फिर से चलन में लाने के लिए कृषि विशेषज्ञों की टीम ज़िला स्तर पर बनायी गयी थी।

आज सरकार गन्ना किसानों को अगर कम खर्चे में गन्ने की खेती के तरीक़े देना चाहती है तो ये स्वागत योग्य कदम है। पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि आज खेती में रसायन, खाद और उर्वरकों का खर्चा बढ़ा रहा है इसे कम करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना। धनकड ने कहा कि पुराने समय में जीरो बजट में गन्ने की प्राकृतिक खेती होती थी। खेतों में सिर्फ़ गोबर की खाद ही डाली जाती थी। आज की तुलना में तब किसान आर्थिक रूप में ज़्यादा खुशहाल और सम्पन्न थे। धनकड ने कहा कि हमें फिर से वैदिक कृषि पद्दतियों पर लौटना होगा।

यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here